अधिक जरूरी हैं आज ‘मानस’ और तुलसी
कविता करके तुलसी ना लसे / कविता लसी पा तुलसी की कला... कवि, भक्त, प्रकांड पंडित, सुधारक, लोकनायक, भविष्य के स्रष्टा – अनन्त रूप...
इनके पेट से तय होती है परिभाषा 15 अगस्त की
15 अगस्त के क्या मायने हैं आपके लिए? माफ कीजिएगा, 15 अगस्त क्या है और क्यों है, ये मैं नहीं पूछ रहा आपसे। आपने...
सच: तीन छोटी कविताएं
सच: 1
एक सच मेरा
एक सच तुम्हारा
एक वो सच
जो चुप कर देता है
हमदोनों को
हमेशा रहता है मौजूद
ना दिखनेवाला सच
चुप रहने
और चीखने के बीच।
सच: 2
सच
सच है
उसे...
प्रेमचंद, गोदान और होरी की ‘पूर्णता’ है धनिया
हर बड़े रचनाकार के साथ मुख्यत: उसकी एक कृति का नाम जुड़ा होता है। वह कृति एक तरह से उस रचनाकार की, उसकी संवेदना,...
सपने: चार छोटी कविताएं
सपने: 1
नहीं भगवन !
मुझे नहीं चाहिएं ऐसे सपने
जो हथेलियों में समा न सकें।
सपने बड़े हों
तो बड़ी हो जाएं
हथेलियां भी !
सपने: 2
सपनों की खातिर
नींदें बेचीं
अब...
हिन्दी के आधुनिक कबीर नागार्जुन
प्रगतिशील आन्दोलन यानि प्रगतिवाद के पुरोधा कवि हैं वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ अर्थात् बाबा नागार्जुन। मूलत: प्रगतिवादी होने के बावजूद नागार्जुन प्रयोगशील भी हैं और...
पिता !
पिता !
अब जबकि साध लिया है तुमने
अपना जीवन
अपनी परिभाषा में
और झाँकने लगा है
तुम्हारे बालों से
तुम्हारी आत्मा का प्रकाश –
तुम होते जा रहे इतने विराट
और...
सृजन को नया आयाम देती स्वेतलाना एलेक्सिएविच
आज जबकि पत्रकारिता ‘सेंशेसन’ में खोती जा रही है और मानव-मन के भीतर झाँकने का चलन खत्म-सा हो गया है, स्वेतलाना एलेक्सिएविच को पढ़ना...
मैं आदिवासी हूँ
मुझे नहीं पता
शहरों की चकाचौंध
हवस और हिंसा क्या होती है
मुझे नहीं बताया मेरे पूर्वजों ने
मुझे दिखलाई गई केवल
बाँह से हथेली की दूरी
और यह कहकर
भेज...
आँखवालों की ‘रंगभूमि’ में प्रेमचंद का ‘सूरदास’
सेवासदन (1918), वरदान (1921) और प्रेमाश्रम (1922) के बाद प्रेमचंद ‘रंगभूमि’ लेकर आए। 1922 के अक्टूबर से अप्रैल 1924 तक लिखा गया यह उपन्यास...