मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 जून 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग संचालन परिषद की बैठक में शामिल हुए और एक बार फिर बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग दोहराई। साथ ही केन्द्र प्रायोजित योजनाओं, आपदा अनुग्रह अनुदान एवं किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन आदि के संबंध में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
विशेष राज्य के दर्ज की मांग रखते हुए नीतीश कुमार ने कहा, ‘राज्य सरकार पिछले कई वर्षों से 10 प्रतिशत से अधिक आर्थिक विकास दर हासिल करने में सफल रही है, जो राष्ट्रीय विकास दर से अधिक है। इसके बावजूद भी राज्य की प्रति व्यक्ति आय अन्य विकसित राज्यों एवं राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है। इस राज्य को देश के अन्य विकसित राज्यों तथा राष्ट्रीय औसत को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा लम्बे समय से बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग केन्द्र सरकार से की जाती रही है। इस संदर्भ में मैं केन्द्र सरकार द्वारा गठित रघुराम राजन समिति की अनुशंसाओं की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं, जिसमें राज्यों के लिए समग्र विकास सूचकांक प्रस्तुत किया गया था जिसके अनुसार देश के 10 सबसे पिछड़े राज्यों को चिन्हित किया गया था, जिसमें बिहार भी शामिल है। इस समिति की अनुशंशाओं में यह भी उल्लेख किया गया था कि सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में विकास की गति बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार अन्य रूप में केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करा सकती है।’
नीतीश कुमार ने कहा, ‘यदि अंतर-क्षेत्रीय एवं अंतर्राज्यीय विकास के स्तर में भिन्नता से संबंधित आंकड़ों की समीक्षा की जाए तो पाया जाएगा कि कई राज्य विकास के विभिन्न मापदंडों जैसे प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सांस्थिक वित्त एवं मानव विकास के सूचकांकों पर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैं। उदाहरण के तौर पर बिहार की प्रति व्यक्ति आय 2017-18 में 28485 रुपये थी जो कि भारत की औस प्रतिव्यक्ति आय 86668 रुपये का मात्र 32.86 फीसदी थी। राज्य में वर्ष 2005 में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत मात्र 76 यूनिट थी जो 2017-18 में बढ़ कर 280 यूनिट हो गयी, जबकि राष्ट्रीय औसत 1149 यूनिट था।’
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इसी तरह से अगर मानव विकास के सूचकांकों को देखा जाए तो पाया जाएगा कि तेजी से प्रगति के बावजूद अभी भी हमें लंबी दूरी तय करनी है। वर्ष 2005 में राज्य में मातृ मृत्यु दर (प्रति लाख जनसंख्या पर) 312 थी जो 2016 में घटकर 165 हो गई है जबकि राष्ट्रीय औसत 130 है। वर्ष 2005 में शिशु मृत्यु दर (प्रति 1000 जनसंख्या पर) 61 थी जो 2016 में घटकर 38 हो गई है पर अभी भी राष्ट्रीय औसत जो 34 है, से हम पीछे हैं। इसके अतिरिक्त राज्य का जनसंख्या घनत्व 1106 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर है जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 382 है। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि हालांकि बिहार ने हाल के वर्षों में अधिकांश क्षेत्र में प्रगति की है लेकिन अभी भी विकास के सूचकांकों में वह राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है।’
नीतीश कुमार ने कहा, ‘तर्कसंगत आर्थिक रणनीति वही होगी जो ऐसे निवेश और हस्तांतरण पद्धति को प्रोत्साहित करे जिससे पिछड़े राज्यों को एक निर्धारित समय सीमा में विकास के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में मदद मिले। हमारी विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी पर आधारित है। हमने लगातार केन्द्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने से जहां एक तरफ केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के अंश में वृद्धि होगी जिससे राज्य को अपने संसाधनों का उपयोग अन्य विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं में करने का अवसर मिलेगा वहीं दूसरी ओर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों के अनुरूप ही जीएसटी में अनुमान्य प्रतिपूर्ति मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, उद्योग स्थापित होंगे, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा।’
इसके अलावा नीतीश कुमार ने कहा कि बदलते हुए वैश्विक, आर्थिक, सामाजिक एवं तकनीकी परिवेश में देश के विकास के लिये समावेशी सोच एवं दृष्टि की आवश्यकता है। उन्होंने बिहार से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को बैठक में रखा एवं आशा व्यक्त की कि विकास की रणनीति बनाते समय सभी मुद्दों एवं सुझावों पर सम्यक विचार किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केन्द्र प्रायोजित योजनाओं, आपदा अनुग्रह अनुदान एवं किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत गैर रैयत (बटाईदार एवं जोतेदारों) किसानों को भी शामिल करने का सुझाव दिया।
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार आपदा-प्रवण राज्य है। यहां बाढ़ एवं सुखाड़ जैसी आपदाओं से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि अनुग्रह अनुदान उपलब्ध कराने के लिए राज्य आपदा मोचन कोष के 25 प्रतिशत की अधिसीमा को खत्म करते हुए वर्ष 2015 की तरह पूर्व की भांति जरूरत के मुताबिक राज्य को राशि मिलनी चाहिए। नीतीश कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं को बंद कर प्राथमिकता वाली योजनाओं का क्रियान्वयन सेंट्रल सेक्टर स्कीम के तहत कराने का प्रावधान किया जाना चाहिए। राज्य की प्राथमिकता की योजनाओं का कार्यान्वयन राज्य सरकारों को अपने संसाधनों से राज्य स्कीम के तहत करना चाहिए।
बोल डेस्क