13 दिसंबर… महान अदाकारा स्मिता पाटिल की पुण्यतिथि..! उनके संबंध में उनके साथी कलाकारों से लेकर प्रबुद्ध लेखकों-आलोचकों तक ने काफी कुछ लिखा-कहा है, पर यहां ‘हिन्दुस्तान’ के माध्यम से चंचल जी की फेसबुक वॉल से लिया गया यह संक्षिप्त संस्मरण इसलिए कि इसमें भारतीय सिनेमा के बेहद सामर्थ्यवान व लोकप्रिय अभिनेताओं में एक राजेश खन्ना की स्मिता पाटिल को लेकर कही गई एक बड़ी बात का उल्लेख है। स्मिता पाटिल के कद को महसूसने में इससे जरूर आसानी होगी।
स्मिता की याद…
हम स्मिता पाटिल पर लिखने से बचते रहे हैं। वजह केवल एक रही कि राज बब्बर हमारे अच्छे मित्रों में से हैं और उनको यादों के कुछ हिस्से दिखाकर कुरेदना नहीं चाहता था।
एक दिन हम दिल्ली के त्रिवेणी कला केन्द्र की कैंटीन में बैठे गुलजार साहब का इंतजार कर रहे थे। हमारे साथ शिल्पकार सुमिता चक्रवर्ती भी थीं। इतने में एक दुबली-पतली लड़की ने सफेद कुरते-पाजामे में उछलते-कूदते हुए वहां प्रवेश लिया। दीदी ने कहा, हमने इस लड़की को कहीं देखा है। हमने इशारे से स्मिता को बुलाया। हमने कहा, पैर तो दिखाओ, उन्होंने पैर आगे बढ़ा दिया। हम दोनों जोर से हंसे। पैर में कोल्हापुरी चप्पल थी, जिसे प्रचारित करने के लिए समाजवादी समूह ने आंदोलन चलाया था। स्मिता महज कलाकार थीं, यह कहना बेमानी होगी, वह समाज के लिए एक बेहतर नजरिया रखती थीं और उसके लिए प्रतिबद्ध भी रहीं।
एक दिन हमने काका से पूछा स्मिता के बारे में। राजेश खन्ना बोले- देखिए साहिब! एक कलाकार का पहला फर्ज बनता है कि वह दूसरे कलाकार को कमतर न आंके, अभी तक नहीं बोला, लेकिन आज आपको बता दूं, हम दो कलाकारों के सामने बहुत कॉन्सस रहे काम करते समय। एक मीनाजी और दूसरी स्मिताजी। नमन स्मिताजी।
बोल डेस्क [‘स्मिता की याद’, चंचल की फेसबुक वॉल से, हिन्दुस्तान]