बीआर चोपड़ा के पोते अभय चोपड़ा ‘इत्तेफाक’ के जरिए निर्देशक के तौर पर डेब्यू कर रहे हैं। यह फिल्म एक थ्रिलर मर्डर मिस्ट्री है, जो कि 1969 में रिलीज हुई राजेश खन्ना और नंदा की फिल्म की रीमेक है। फिल्म को रेड चिलिच एंटरटेनमेंट, धर्मा प्रोडक्शन और बीआर स्टूडियो ने मिलकर प्रोड्यूस किया है। जिन लोगों ने पुरानी ‘इत्तेफाक’ देखी है उन्हें पता होगा कि फिल्म की कहानी क्या है। लेकिन नई फिल्म में कुछ दिलचस्प चीजों को जोड़ा गया है ताकि दर्शक इसे ज्यादा पसंद कर सकें।
इस फिल्म के सस्पेंस को पूरी तरह से छिपाने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया। इसके लिए जहां मुंबई सहित कहीं भी इस फिल्म की प्रिव्यू स्क्रीनिंग नहीं रखी गई, वहीं फिल्म की स्टारकॉस्ट और क्रू मेम्बर्स को सख्त हिदायत दी थी कि क्लाइमेक्स का कहीं जिक्र ना करें। हद तो उस वक्त हो गई जब प्रॉडक्शन कंपनी ने फिल्म को बिना प्रमोशन ही रिलीज करने का फैसला लिया।
बहरहाल, फिल्म की कहानी लेखक विक्रम सेठी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) और माया (सोनाक्षी सिन्हा) के इर्द-गिर्द घूमती है। विक्रम और माया के पार्टनर की हत्या हो जाती है। दोनों पर ही इस हत्या का शक है। लेकिन दोनों ने इससे साफ इंकार कर देते हैं। दोनों के पास पुलिस अधिकारी देव (अक्षय खन्ना) को सुनाने के लिए अलग कहानी होती है। माया विक्रम पर जबर्दस्ती अपने घर के अंदर घुसने का आरोप लगाती है तो विक्रम बताता है कि माया का व्यवहार उसके साथ काफी दोस्ताना था। विक्रम के अनुसार उसकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है जिसकी वजह से वो माया के पास मदद के लिए पहुंचता है। दोनों अपनी-अपनी कहानी से यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि उन्होंने यह खून नहीं किया है।
फिल्म की कहानी के दो वर्जन हैं। एक माया का और एक विक्रम का। क्या देव सच का पता लगाकर खूनी को जेल पहुंचा पाएगा? माया या विक्रम आखिर कौन बोल रहा है सच? अगर इन दोनों ने खून नहीं किया तो आखिर किसने किए हैं यह डबल मर्डर? यही है फिल्म की कहानी।
फिल्म आपको अन्त तक अंदाजा लगाने को मजबूर करती है। निर्दशक अभय की कहानी पर पकड़ फिल्म की यूएसपी कही जा सकती है। और हां, अक्षय खन्ना की शानदार एक्टिंग भी। कुल मिलाकर, अगर आपको सस्पेंस थ्रिलर पसंद है तो ‘इत्तेफाक’ आपको हरगिज निराश नहीं करेगी।
बोल डेस्क