इस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार ब्रिटिश लेखक काजुओ इशिगुरो को दिया जाएगा। ‘द रिमेंस ऑफ द डे’ से मशहूर हुए उपन्यासकार काजुओ इशिगिरो का जन्म तो जापान में हुआ लेकिन वे अब ब्रिटेन में रहते हैं और अंग्रेजी में लिखते हैं। नोबेल कमेटी ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए अपने बयान में बिल्कुल सही कहा है कि काजुओ इशिगुरो ने “अपने बेहद भावुक उपन्यासों से दुनिया के साथ संपर्क की हमारी मायावी समझ की गहराई पर से पर्दा उठाया है।” केंट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाले इशिगुरो को इससे पहले चार बार मैन बुकर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था और 1989 में उन्हें ‘द रिमेंस ऑफ द डे’ के लिये इससे नवाजा भी गया।
बहरहाल, 62 साल के इशिगुरो के चुनाव ने दो साल तक गैरपारंपरिक साहित्य को नोबेल मिलने के बाद पारंपरिक साहित्य की दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कारों में वापसी कराई है। पुरस्कार देने वाली स्वीडिश एकेडमी की स्थायी सचिव सारा डैनियस के शब्दों में अगर आप जेन ऑस्टीन की कॉमेडी के तौर-तरीकों को काफ्का की मनोवैज्ञानिक अंतरदृष्टि से मिला दें तो आपको इशिगुरो मिल जायेंगे।“
इशिगुरो का जन्म जापान के नागासाकी में हुआ लेकिन उनका परिवार ब्रिटेन चला आया। तब उनकी उम्र महज पांच साल थी। जब वे वयस्क हुए तब उन्होंने जापान की यात्रा की। उनका पहला उपन्यास ‘अ पेल व्यू ऑफ द हिल्स’ (1982) और दूसरा उपन्यास ‘एन आर्टिस्ट ऑफ द फ्लोटिंग वर्ल्ड’ (1986) दोनों द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के नागासाकी की पृष्ठभूमि पर आधारित है।
उनके सबसे मशहूर उपन्यास ‘द रिमेंस ऑफ द डे’ में एक बड़े घर का रसोइया अभिजात वर्ग की सेवा में बीती अपनी जिंदगी की ओर मुड़ कर देखता है। यह किताब 20वीं सदी के इंग्लैंड में डाउनटाउन आबे जैसे माहौल के बीच दबी हुई भावनाओं की एक गहरी दुनिया को दिखाती है। 1993 में इस किताब पर एक फिल्म भी बनी। एंथनी हॉपकिंस और एम्मा थॉमसन के अभिनय वाली इस फिल्म को ऑस्कर पुरस्कारों के लिए आठ नामांकन मिले थे।
2005 में आया इशिगुरो का उपन्यास ‘नेवर लेट मी गो’ भी खासा चर्चित रहा है। प्रारंभ में बोर्डिंग स्कूल के तीन युवा दोस्तों की कहानी लगता यह उपन्यास धीरे-धीरे एक अलग दिशा में मुड़ता है और साइंस फिक्शन के ‘धीमे अंतर्प्रभाव’ से हमें रू-ब-रू कराते हुए गहरे नैतिक सवाल उठाता है।
2015 में आए उनके नवीनतम उपन्यास ‘द बरिड जाइंट’ में गतिशील तरीके से दिखाया गया है कि स्मृति का विस्मृति से, इतिहास का वर्तमान से और फंतासी का वास्तविकता से क्या संबंध है। कुल मिलाकर, इशिगुरो को जिन विषयों – स्मृति, समय और आत्मविमोह – से सबसे ज्यादा जोड़ा जाता है, उनकी मौजूदगी उनके सारे उपन्यासों में देखी जा सकती है, और निहायत खूबसूरत तरीके से।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप