बाढ़ से बिहार एक बार फिर बेपटरी हो गया। खासकर उत्तर बिहार की स्थिति भयावह हो गई है और कई गांव जलमग्न हो गए हैं। पानी के उफान के कारण केवल नदियों के तटबंध ही नहीं टूटे, कहीं सड़क, कहीं पुल तो कहीं पटरियां भी ध्वस्त हो गई हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बाढ़ के कारण राज्य में अब तक 56 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जानमाल की सर्वाधिक क्षति अररिया में देखने को मिली है जहां सबसे अधिक 20 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि किशनगंज में 8, पूर्वी चंपारण में 3, पश्चिमी चंपारण में 9, मधुबनी में 3, सीतामढ़ी में 5, मधेपुरा में 4 और शिवहर में 1 व्यक्ति की मौत हुई है।
नेपाल से बिहार आने वाली नदियों के जलस्तर में इजाफा होने के चलते बिहार के सीमांचल कहे जाने वाले इलाके के चार जिलों किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार की हालत गंभीर है। इनके अलावे सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, गोपालगंज, बगहा समेत कई अन्य जिलों के लाखों लोग बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं। इन हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केन्द्र से मदद मांगी, जिसके बाद राज्य में सेना और वायु सेना की तैनाती की गई है।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों का हेलिकॉप्टर से सर्वे कर कहा कि वे आपदा प्रबंधन विभाग के मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग और सभी जिलाधिकारियों को हालात का जायजा लेने के लिए भेजेंगे। वैसे बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत अभियान अनवरत जारी है। अत्यधिक प्रभावित इलाकों में हेलिकॉप्टर से खाने के पैकेट भी गिराए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री को फोन कर बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया है।
बोल डेस्क