बिहार जेडीयू बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की राज्य कार्यकारिणी एवं जिलाध्यक्षों की पहली बैठक दिनांक 13 अगस्त 2017 (रविवार) को प्रदेश कार्यालय में प्रो. रामवचन राय की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष डॉ. लखन पाल सिंह आरोही, श्री प्रभात सरसिज, श्री एसएम जलाल, प्रधान महासचिव व प्रवक्ता श्री सुनील कुमार एवं महासचिव डॉ. एमके मधु, डॉ. बीएन विश्वकर्मा, डॉ. अमरदीप के अतिरिक्त प्रो. अनिल कुमार, श्री राजीव मोहन पटवर्द्धन आदि की उपस्थिति प्रमुख रूप से रही।
बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ ने माना कि वर्तमान राजनीतिक परिवेश में बुद्धिजीवियों की अहम भूमिका है। राज्य के हित में और न्याय के साथ विकास की दिशा में दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ एनडीए के साथ जाने का जो निर्णय लिया है, उसे व्याख्यायित कर जन-जन तक पहुंचाना दल के हर समर्पित कार्यकर्ता खासकर बुद्धिजीवियों का दायित्व है।
प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रो. रामवचन राय ने कहा कि राज्यहित को अनदेखा करते हुए इन दिनों संगठित रूप से कुछ तत्वों द्वारा भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में बुद्धिजीवियों को आगे बढ़कर मूल्य आधारित राजनीति के प्रति लोगों को जागरुक करना होगा और उन्हें विश्वास दिलाना होगा कि मुख्यमंत्री के निर्णय से बिहार के चतुर्दिक विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
प्रधान महासचिव व प्रवक्ता सुनील कुमार, कार्यकारिणी के सदस्य प्रो. अनिल कुमार आदि वक्ताओं ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त रहकर धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देना धोखा है। सार्वजनिक जीवन में शुचिता और पारदर्शिता लोकतंत्र की सफलता का सबसे मजबूत आधार है। औरंगाबाद बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजीव मोहन पटवर्द्धन ने इस बात पर जोर दिया कि समाज के किसी भी वर्ग, खासकर अल्पसंख्यकों में इस निर्णय के प्रति कोई शंका हो तो उसे हर हाल में दूर किया जाना चाहिए।
प्रदेश महासचिव डॉ. अमरदीप ने कहा कि आज बिहार में राजनीति की दो संस्कृतियों, दो शैलियों की लड़ाई है, जिनमें एक का प्रतिनिधित्व नीतीश कुमार करते हैं तो दूसरी का लालू प्रसाद यादव। राजधर्म और राज्यधर्म को महागठबंधन-धर्म से बड़ा बताते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का निर्णय समय की बाध्यता थी और जरूरत भी।
बोल डेस्क