एक लड़की भीगी-भागी सी, गाता रहे मेरा दिल, मेरे सामने वाली वाली खिड़की, मेरे सपनों की रानी, रूप तेरा मस्ताना, पल-पल दिल के पास, आनेवाला पल, मेरे महबूब कयामत होगी, ओ साथी रे, तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं, मेरे दिल में आज क्या है, देखा एक ख्वाब, पग घुंघरू बांध, खइके पान बनारस वाला, दिल क्या करे, मेरा जीवन कोरा कागज, कुछ तो लोग कहेंगे, ज़िन्दगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम, मंजिले अपनी जगह हैं – क्या इन गानों के बिना आप हिन्दी सिनेमा की और किशोर दा के बिना इन गानों की कल्पना कर सकते हैं? नहीं न! ये गाने तो महज बानगी हैं। आभास कुमार गांगुली उर्फ किशोर कुमार न होते तो ऐसे सैकड़ों गीतों में वो कशिश, वो रोमांस, वो गहराई, वो दर्द, वो मस्ती, वो जिन्दादिली न होती जो आज हिन्दी सिनेमा की पूंजी हैं।
किशोर दा आज अगर जीवित होते तो 88 वर्ष के होते। गायक के रूप में तो उनकी कोई सानी नहीं ही है, गीतकार, संगीतकार, लेखक, निर्देशक, निर्माता और अभिनेता भी वे बेमिसाल थे। 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्मे किशोर कुमार ने महज 58 साल की ज़िन्दगी में वो मुकाम हासिल किया, जहां से वे अपनी मौत के तीन दशक बाद भी लोगों के दिलों में बने हुए हैं। संगीतकार जतिन-ललित की जोड़ी के ललित ने बिल्कुल सही कहा है कि उनके संगीत की समझ इतनी अधिक थी कि अगर संगीतकार थोड़ी खराब धुन लेकर आए तो भी वो उसमें इतनी जान फूंक देते थे कि वो गाना अमर हो जाता था। किशोर कुमार को ख़ुदा ने ऐसी आवाज दी थी कि हमें आज तक उनकी बुरी आवाज सुनने को नहीं मिली।
देखा जाय तो राजेश खन्ना जितने बड़े एक्टर बने और जितने बड़े सुपर स्टार बने, उसमें बहुत बड़ा हाथ किशोर कुमार का था। किशोर दा ने जिन हीरो के लिए गाया, वो अमर हो गए। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी उन्हें शिद्दत से याद करते हुए अपने करियर में उनकी भूमिका स्वीकारते हैं। उनकी जयंती पर शब्दांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने पूरी गिनती बताई है कि उन्होंने मेरे लिए 51 फिल्मों में गाया, 130 से ज्यादा गाने और 60 फिल्में जिनमें मैंने काम किया।
किशोर दा की 88वीं जयंती पर स्वर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने भी उन्हें भावुक होकर याद किया और उनके साथ गाए पहले गीत ‘ये कौन आया रे’ को साझा करते हुए लिखा, वो जितने अच्छे गायक थे, उतने ही अच्छे इंसान थे। मुझे किशोर दा की कमी हमेशा महसूस होती है। संगीतकार राम संपत ने उन्हें ‘अविश्वसनीय गायक’ बताया तो गायक शान ने कहा “वह कुछ भी कर सकते थे।” सचमुच कुछ भी कर सकते थे किशोर कुमार, क्योंकि जहां सीमाएं दम तोड़ जाती थीं, वहां से सफर शुरू होता था उनका।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप