राजनीति का गलियारा हो, बुद्धिजीवियों का जमावड़ा हो या मीडिया का प्लेटफॉर्म – आज चर्चा केवल इस बात को लेकर हो रही है कि नीतीश कुमार ने महागठबंधन को छोड़ने और एनडीए से जुड़ने जैसा बड़ा निर्णय ‘अचानक’ कैसे ले लिया? क्या ये अवसरवादिता है? क्या ये मूल्यों के नाम पर सुविधा और सत्ता की राजनीति है? ऐसे कितने ही सवाल अभी हवा में तैर रहे हैं। हालांकि जो नीतीश कुमार को करीब से जानते हैं उन्हें उनके निर्णय पर रत्ती भर भी शंका नहीं।
बिहार जेडीयू के अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह, जो समता पार्टी की स्थापना से लेकर अब तक नीतीश के हर कदम के साथी और साक्षी रहे हैं, ऐसे तमाम सवालों का बड़ा ही तार्किक जवाब देते हैं। उन्होंने बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा कि राज्य के हित में कभी-कभी नेता को कठोर फैसले लेने पड़ते हैं। हमें सरकार चलाने में कई स्तरों पर दिक्कतें आ रही थीं। हम असहज और विवश होने लगे थे। अगर सरकार की भूमिका ही कारगर और प्रभावी नहीं बची तो ऐसे में सरकार चलाने का कोई मतलब नहीं था।
आगे अपने दल और नेता की ‘असहजता’ और ‘विवशता’ को स्पष्ट करते हुए वशिष्ठ कहते हैं, राजनीति में सब कुछ परिवारवाद ही नहीं है। येन-केन-प्रकारेण अपने परिवार को सत्ता में बनाये रखने की जिद्द एक अलग तरीके का अपराध ही है। इसके बरक्स गुड गवर्नेंस और विकास नीतीश की कार्यशैली का अहम हिस्सा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस जंग को हमने सालों पहले शुरू किया था, उसके साथ समझौता जनता के साथ धोखा है। राजनीतिक रूप से हाल के दिनों में जो घटनाएं घट रहीं थी, उससे बिहार की जनता के मानस में एक अजीब सी असहजता दिखने लगी थी। यह असहजता केवल जनता के स्तर पर नहीं, बल्कि सरकार के स्तर पर भी बीते कई दिनों से दिखलाई पड़ रही थी।
वशिष्ठ नारायण सिंह ने आगे कहा कि आज की परिस्थिति में मुख्य चुनौती है कि हम बिहार को राष्ट्रीय स्तर पर कैसे समृद्ध और सशक्त बनायें? कैसे उसके विकास की गति को तेज करें? कैसे जनता की आंखों की चमक को हासिल करें? हमें मैंडेट बिहार को आगे ले जाने के लिए मिला था। ऐसे में नीतीश कुमार ने नए मित्र के साथ फिर से सरकार चलाने की जिम्मेदारी उठाई है।
उधर जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने महागठबंधन में टूट पर कहा कि यह मूल्य आधारित राजनीति करने वालों की जीत है और मूल्यविहीन राजनीति करने वाले पराजित हुए हैं। राजद को उद्देश्य की राजनीति और मूल्यों की राजनीति करनी चाहिए। वहीं, जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अमृत बन कर उभरे हैं। जेडीयू एनडीए के साथ जाने पर एकजुट है और इसमें किसी प्रकार की कोई फूट नहीं है। कई राजद के विधायक ही जेडीयू के संपर्क में हैं।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप