रामनाथ कोविंद ने देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर अपने पद की शपथ ली और रायसीना पर ‘राम’राज की विधिवत शुरुआत हो गई। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने उन्हें संसद के सेन्ट्रल हॉल में शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, स्पीकर सुमित्रा महाजन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व एचडी देवगौड़ा, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी सहित राजनीति जगत की कई दिग्गज हस्तियां मौजूद रहीं।
शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में रामनाथ कोविंद ने कहा, “मैं यूपी के एक छोटे से गांव से हूं। मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं। मेरी यात्रा लंबी रही है, लेकिन ये यात्रा सिर्फ मेरी नहीं रही है, बल्कि मेरे देश और समाज की यही गाथा है।” देश की विभिन्नता और विविधता को देश की ताकत बताते हुए उन्होंने कहा, ”हम अलग जरूर है, लेकिन एकजुट हैं।” उन्होंने भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन की चर्चा की और विश्वास जताया कि 21वीं सदी भारत की होगी।
राष्ट्रपति कोविंद ने जोर देकर कहा कि राष्ट्र निर्माण का काम अकेले सरकारें नहीं कर सकतीं। देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता है। सैनिक, पुलिस, किसान, वैज्ञानिक, डॉक्टर, नर्स, शिक्षक, छात्र सभी राष्ट्र निर्माता हैं। पर्यावरण की रक्षा कर रहे आदिवासी, घर और बाहर की देखभाल करने वाली महिलाएं और स्टार्टअप चलाने वाले शख्स सभी राष्ट्रनिर्माता हैं। उन्होंने कहा कि हमें प्राचीन ज्ञान और समकालीन विज्ञान को एक साथ लेकर चलना है। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीनदयाल उपाध्याय ने की थी।
बहरहाल, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर मंगलवार को बदलाव की औपचारिक प्रक्रिया उस समय शुरू हुई जब राष्ट्रपति के सैन्य सचिव मेजर जनरल अनिल खोसला नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अकबर रोड स्थित आवास पहुंचे। उन्होंने 71 वर्षीय कोविंद और उनकी पत्नी सविता को राष्ट्रपति भवन ले जाने के लिए आमंत्रित किया जहां अध्ययन कक्ष में निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उनका इंतजार कर रहे थे।
इसके बाद दोनों नेता भव्य राष्ट्रपति भवन के समक्ष स्थित दालान में गए जहां से उन्हें सलामी मंच तक ले जाया गया। मुखर्जी ने राष्ट्रपति के अंगरक्षकों से अंतिम सलामी ली और इस समय नवनिवार्चित राष्ट्रपति कोविंद उनके बांयीं ओर खड़े थे। इसके बाद मुखर्जी और उनके उत्तराधिकारी काले रंग की लिमोजिन कार से रायसीना पहाड़ी से संसद भवन की ओर बढ़े। उनके आगे राष्ट्रपति के अंगरक्षकों का काफिला चल रहा था। राष्ट्रपति भवन से संसद मार्ग पर जाने वाले मार्ग तक सशस्त्र बल के जवान खड़े हुए थे। इससे पहले नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने सुबह राजघाट जाकर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दी थी।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप