आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप के बेहद करीबी फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया हार गई। इंग्लैंड ने भारत को 9 रन से हराकर विश्व चैम्पियन का खिताब हासिल किया। सांस रोक देने वाले इस मैच में भारतीय टीम इतिहास बनाने से जरूर चूक गई, लेकिन पूरे टूर्नामेंट ने वो जिस तरह से खेली उसकी तारीफ हर तरफ हो रही है। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में यह पहला मौका था जब महिला टीम ने इस कदर दर्शकों और मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। यही नहीं, इस टूर्नामेंट ने भारतीय टीम को एक-दो नहीं कई मैच विनर खिलाड़ी दिए और ये तमाम बातें टीम के स्वर्णिम भविष्य के लिए हमें आश्वस्त करती हैं।
बहरहाल, लॉर्ड्स में खेले गए इस मैच में इंग्लैंड के बनाए 228 रनों का पीछा कर रही भारतीय टीम एक वक्त काफी मजबूत नजर आ रही थी। एक वक्त टीम का स्कोर 42.4 ओवर में 3 विकेट पर 191 रन था और वो जीत से केवल 38 रन दूर थी। पर इसके बाद टीम आखिरी ओवरों के दबाव को नहीं झेल पाई और अगले 28 रन के अंदर बाकी की सात खिलाड़ी पैवेलियन लौट गईं। चूंकि जीत के लिए बहुत कम रनों की दरकार थी, इसीलिए उम्मीद आखिर विकेट तक कायम रही। पर ज्योंहि अन्या श्रुबसोल की गेंद पर राजेश्वरी गायकवाड के रूप में दसवां विकेट गिरा, भारतीय खिलाड़ियों के साथ करोड़ों चाहनेवालों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। 1983 में जिस मैदान पर कपिल देव की टीम ने वर्ल्ड कप उठाया था, वहां भारतीय महिला टीम को उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा।
जो भी हो, इस मैच में मिली हार के बाद मायूसी के बावजूद भारतीय टीम की कप्तान मिताली राज ने अगर अपनी टीम की तारीफ करते हुए कहा कि मुझे लड़कियों पर गर्व है… किसी भी टीम के लिए उन्होंने मैच आसान नहीं होने दिया… तो इसमें पूरे देश की आवाज शामिल थी। इसमें कोई शक नहीं कि इस वर्ल्ड कप के बाद भारत में महिला क्रिकेट का नया दौर शुरू होगा।
एक बात और, हमारी टीम ने पूरे टूर्नामेंट में याद रखने के लायक कई पल दिए। पर रेखांकित करना ही हो तो सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया जैसी टीम के विरुद्ध हरमनप्रीत कौर की नाबाद 171 रनों की साहसिक पारी को बहुत आदर से याद किया जाना चाहिए। जिस टीम की खिलाड़ी कपिल और धोनी की पारियों की याद दिला दे (साथ में उनकी टीमों की भी), उसके लिए संदेह करने को रह भी क्या जाता है!
‘बोल बिहार’ के लिए रूपम भारती