गिरते-गिरते उसने मुझे थाम लिया अंग्रेजी में… रंगून फिल्म का यह गाना सुनकर मेरे जिज्ञासु मस्तिष्क में सवाल आया, अंग्रेजी में क्या अलग तरीके से थामा जाता है? सवाल का जवाब भी अपने ही दिमाग ने दिया, थामना ही क्यों, अंग्रेजी में हंसना, छींकना, खांसना, सब अलग ही होता है। सब ‘सोफिस्टिकेटेड’, सब ‘एलीट’ होता है। हिन्दी वालों से एकदम अलग या फिर यूं कहें कि हिन्दी वालों के एकदम उलट। कभी गौर कीजिए, अंग्रेजी बोलने वाले लोग छींकते भी हैं, तो लगता है कि रेडियो जिंगल बजा और हिन्दी वालों के छींकने पर जान-माल का नुकसान भले ही न हो, भूकंप के हल्के झटके जरूर महसूस किए जा सकते हैं। अंग्रजी में कोई झूठ भी बोले, तो सच ही लगता है। तभी तो फिल्म ‘ब्लू अंब्रेला’ में पंकज कपूर बड़ी मासूमियत से पूछते हैं, ‘अंग्रेजी में भी कोई झूठ बोलता है क्या?’
इससे पहले कि आप मुझे जज करें, बता देती हूं कि मैं विशुद्ध हिन्दी मीडियम वाली हूं।… फिलहाल भारतीय भाषाओं का बाज़ार बढ़ रहा है, तो इन्हें लिखने-बोलने वालों को थोड़ा भाव मिलने लगा है, लेकिन यह भाव भी तभी मिलेगा, जब अंग्रेजी आती हो। भारत में अंग्रेजी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि ‘क्लास’ है और इसके अलावा भी बहुत कुछ है। और इस ‘क्लास’ से तो आपको मार्क्सवाद भी नहीं बचा सकता।
बोल डेस्क [बीबीसी में सिंधुवासिनी त्रिपाठी]