गुगली क्रिकेट की एक खास गेंद है जो अक्सर किसी लेग स्पिनर के हुनर का मानदंड मानी जाती है। अगर कोई लेग स्पिनर बिल्कुल पता न लगने देते हुए और अचूक गुगली मार सकता है तो माना जाता है कि उसके हुनर में कोई कमी नहीं है। सुभाष गुप्ते गुगली फेंकने में माहिर थे। लेकिन शेन वॉर्न जैसे अपवाद भी हैं जो बिना गुगली के ही महान गेंदबाज थे।
बहरहाल, गुगली का आविष्कार अंग्रेज क्रिकेटर बर्नार्ड बोज़ांक्वे ने किया था। बोज़ांक्वे अब से एक सौ चालीस साल पहले यानी सन 1877 में पैदा हुए थे। ठीकठाक प्रथम श्रेणी क्रिकेटर थे जो ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय और मिडिलसेक्स से खेलते थे। वे मध्यम गति गेंदबाज और अपेक्षाकृत बेहतर बल्लेबाज थे। गुगली के आविष्कार के बारे में उनके एक लेख से विस्तृत जानकारी मिलती है जो उन्होंने सन 1925 में लिखा था।
बोज़ांक्वे लिखते हैं कि वे अपने एक मित्र के साथ टेनिस गेंद से खेल रहे थे। इस खेल में गेंद को सामने रखे टेबल पर इस तरह मारना था कि सामने वाला पकड़ न पाए। वहां उन्होंने लेगब्रेक की एक्शन से एक गेंद फेंकी। फिर उसी एक्शन से ऐसी गेंद फेंकी जो दूसरी तरफ मुड़ गई। बोज़ांक्वे ने कुछ दिन उस गेंद को फेंकने का अभ्यास किया और छोटेमोटे मैचों में उसे आजमाया।
पहली बार प्रथम श्रेणी मैच में गुगली का इस्तेमाल उन्होंने जुलाई सन 1900 में मिडिलसेक्स बनाम लेस्टरशायर मैच में किया। गुगली पर आउट होने वाले पहले बल्लेबाज़ का नाम उन्होंने ‘को’ बताया है। को बाएं हाथ के बल्लेबाज थे और 98 रन पर खेल रहे थे जब एक गुगली पर वे स्टंप्ड कर दिए गए। यह गुगली बकौल बोज़ांक्वे चार टप्पे खाकर स्टंप तक पहुंची थी लेकिन कारगर साबित हुई।
बोज़ांक्वे बहुत अचूक किस्म के गेंदबाज नहीं थे। शायद इसीलिए उनका अंतरराष्ट्रीय करियर सात टेस्ट मैचों तक सीमित रह गया। हालांकि उनके आंकड़े ज़्यादा बुरे नहीं हैं। यह भी सही है कि गुगली की वजह से वे टेस्ट मैच खेल पाए। लेकिन लेंथ लाइन पर अगर उनका नियंत्रण बेहतर होता तो वे बहुत घातक हो सकते थे। उनके दौर के महान अंग्रेज बल्लेबाज़ सर पेल्हम वॉर्नर का कहना था कि अगर उनका नियंत्रण गेंदों पर बेहतर होता तो वे अपने दौर के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हो सकते थे। इसके बावजूद वे काफी कामयाब खिलाड़ी रहे, प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने छह सौ से ज्यादा विकेट लिए और दस हजार के ऊपर रन बनाए। और फिर क्रिकेट इतिहास में गुगली के अविष्कारक के तौर पर तो वे अमर हैं ही।
बोल डेस्क [‘फर्स्टपोस्ट’ में राजेन्द्र धोड़पकड़]