तमाम देशों की सरकारें उच्च शिक्षा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में नाकाम साबित हो रही हैं। यूनेस्को की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2000 से 2014 के दौरान विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों की संख्या दोगुनी होकर 20 करोड़ 70 लाख जरूर हो गई, पर अब भी सभी छात्रों को समान अवसर और संसाधन नहीं मिलते। उच्च शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि बहुत से परिवारों को अपने बच्चों को इसके लिए भेजना संभव नहीं हो पाता। लिहाजा यह रिपोर्ट उच्च शिक्षा को सभी के लिए ज्यादा समान और किफायती बनाने के सुझाव भी पेश करती है।
इसमें सिफारिश की गई है कि शिक्षा हासिल करने के वास्ते लिए गए कर्ज की वापसी मासिक आमदनी की 15 फीसदी से ज्यादा रकम नहीं होनी चाहिए। इससे ज्यादा रकम की वापसी की वजह से लोगों के गरीबी के गर्त में जाने का खतरा बढ़ जाता है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि अत्यंत गरीब छात्रों की महज एक फीसदी संख्या उच्च शिक्षा हासिल करने में चार साल से ज्यादा वक्त विश्वविद्यालयों में गुजार पाती है, जबकि धनी परिवारों के छात्रों की यह संख्या 20 फीसदी है। इसलिए हमें ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, जिनमें छात्रों की योग्यता के आधार पर उन्हें उच्च शिक्षा का मौका मिले, न कि अमीरी या सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार पर।
बोल डेस्क [‘संयुक्त राष्ट्र रेडियो’ वेब पोर्टल में महबूब खान]