बीते बुधवार को केन्द्र की मोदी सरकार ने वीवीआईपी कल्चर को खत्म करते हुए लाल और नीली बत्ती के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का बड़ा फैसला लिया। आम और खास के बीच के अंतर को पाटने वाले इस निर्णय को लागू करने के लिए दिन भी बड़ा सांकेतिक चुना गया। जी हां, यह फैसला 1 मई यानि मजदूर दिवस के दिन लागू होगा। यह रोक प्रधानमंत्री समेत सभी केंद्रीय मंत्रियों और अफसरों पर लागू होगी। इसके अलावा, यह फैसला राज्य सरकार पर भी लागू होगा। हालांकि, इमर्जेंसी सर्विस के लिए नीली बत्ती के इस्तेमाल की इजाजत रहेगी।
गौरतलब है कि सरकार मोटर वीकल ऐक्ट के उस प्रावधान को ही खत्म करने जा रही है, जो केन्द्र और राज्य सरकार के कुछ खास लोगों को लाल बत्ती के इस्तेमाल की इजाजत देता है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि ‘हमारी सरकार आम लोगों की सरकार है इसलिए हमने लाल बत्ती और हूटर्स का वीवीआईपी कल्चर खत्म करने का फैसला किया है।’ गडकरी ने इसे बड़ा लोकतांत्रिक फैसला बताते हुए जल्द ही इस विषय में अधिसूचना जारी करने की बात कही।
बता दें कि सड़क परिवहन मंत्रालय काफी वक्त से लाल बत्ती वाली गाड़ियों के मुद्दे पर काम कर रहा था। मंत्रालय ने इस संबंध में कई वरिष्ठ मंत्रियों से चर्चा कर प्रधानमंत्री कार्यालय को कई विकल्प दिए थे, जिनमें में एक यह था कि लाल बत्तियों वाली गाड़ी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद किया जाए। दूसरा विकल्प था, उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे पांच लोगों – राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर – को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो। पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसी को भी रियायत न देने का फैसला किया और एक मिसाल कायम हो गया।
बोल डेस्क