बिहार ने एक बार फिर देश भर का ध्यान अपनी ओर खींचा। सोमवार को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में बिहार समेत 19 राज्यों के 817 स्वतंत्रता सेनानियों को चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष पर सम्मानित किया गया। इनमें 610 स्वतंत्रता सेनानी बिहार के और 207 अन्य राज्यों के थे। बड़ी बात यह कि आजादी के बाद ऐसा आयोजन पहली बार हुआ और इसका यश बिहार को मिला। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस आयोजन के लिए बिहार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खूब सराहना की।
कार्यक्रम में महामहिम राष्ट्रपति के अतिरिक्त राज्यपाल रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, शिक्षामंत्री अशोक चौधरी, बिहार जेडीयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव सत्येन्द्र नारायण सिंह एवं अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एसोसिएशन के सचिव सत्यानंद याजी समेत कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही। देश के गृहमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को भी कार्यक्रम में आना था, लेकिन कार्यक्रम के तथाकथित ‘राजनीतिकरण’ की बात कह भाजपा समेत एनडीए के नेताओं ने इसमें शिरकत नहीं की।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस मौके पर देश के युवाओं का आह्वान किया कि भारतीय होने पर वे गर्व करें। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता हमारी पहचान है। 130 करोड़ की आबादी, 200 भाषाओं और सात बड़े धर्मों को मानने वाले लोग भारत में रहते हैं। लेकिन हमारी पहचान भारतीय की है। यही हमारी ताकत है। इस आयोजन का यह भी मकसद है कि हम अपने इतिहास को जानें।
राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि चंपारण आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक अद्वितीय अध्याय रहा है। गांधीजी ने स्वयं लिखा है कि चंपारण आंदोलन से पहले मुझे कोई नहीं जानता था। यह अक्षरश: सत्य है कि मैंने चंपारण में ईश्वर का, अहिंसा का और सत्य का साक्षात्कार किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना हमारा सौभाग्य है। ज्यादातर सेनानी 90 साल के आसपास हैं। आगे ऐसा कार्यक्रम अब नहीं हो पाएगा। ऐसे में इनका सम्मान और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने सेनानियों से आशीर्वाद मांगा कि गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का उन्होंने जो अभियान चलाया है, उसमें उन्हें कामयाबी मिले।
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि देश आज चौराहे पर खड़ा है। देश में श्मशान, कब्रिस्तान, तीन तलाक की बात छेड़कर मूल समस्या को गौण किया जा रहा है। संविधान बदलने व आरक्षण खत्म करने की बात हो रही है। गांधी के विचारों को मिटाया जा रहा है। बिहार से गांधी के विचारों की जो चिंगारी निकल रही है, वह देश भर में फैलेगी।
इसी कड़ी में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सत्ता किसी के पास हो, वह नफरत फैलाने, लोगों को डराने की कोशिश करेंगे तो देश मानने को तैयार नहीं होगा। जिसके पास सत्ता हो, हर बार यह जरूरी नहीं कि सच्चाई भी उसी के पास हो।
बहरहाल, इस आयोजन में देखने लायक जो चीज थी, वो है देश के कोने-कोने से आए स्वतंत्रता सेनानियों के चेहरे की चमक और उनकी आंखों में दिख रहा सुकून भरा गौरव। उनके लिए यह आयोजन किसी राष्ट्रीय पर्व से कम नहीं था। श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल की छत के नीचे इस तरह का जुटान आजादी के आंदोलन के दौरान के किसी अधिवेशन की याद दिला रहा था। इस आयोजन ने सेनानियों को कितनी खुशी दी यह उनके द्वारा की जा रही सराहना में साफ झलक रही थी। बिहार ने उनसे इतना आशीर्वाद पा लिया कि इसकी झोली सदियों तक खाली न होगी।
चलते-चलते
इस समारोह को मिलाकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पिछले तीस दिनों में चौथी बार बिहार आए थे। यही नहीं, इस कार्यक्रम में वे तय समय से ज्यादा रुके और 15 स्वतंत्रता सेनानियों को अपने हाथों से सम्मानित किया। राष्ट्रपति के हाथों सम्मान पाने वाले वे 15 सेनानी हैं – बाबूराम दुषाध (बिहार), लाजपत राय यादव (हरियाणा), सुभद्रा खोसला (नई दिल्ली), भारती चौधरी (बिहार), पांडुरंग आरएस कोलिन कर (गोवा), रमनी मोहन विकल (झारखंड), कृष्णा सोम चौधरी (पश्चिम बंगाल), रामपिला एन (आंध्र प्रदेश), नारायण वर्मन (असम), एन. सत्यनारायण (तेलंगाना), राजयोगेन्द्र वीर स्वामी (कर्नाटक), अविनाश चंद्र शास्त्री (पंजाब), डॉ. डीपी शर्मा (मध्यप्रदेश), नारायण राव सलगांवकर (महाराष्ट्र) और प्रह्लाद प्रसाद प्रजापति (उत्तर प्रदेश)।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप