बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को दहेज के चलन की जोरदार आलोचना करते हुए लोगों से आग्रह किया कि वह दहेज की लेनदेन वाली शादियों में शरीक न हों। बाबासाहब भीम राव अंबेडकर की 126वीं जयंती के मौके पर जेडीयू द्वारा राजधानी पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा – ‘ऐसे विवाह समारोह में शामिल नहीं हों, जहां आपको दहेज के लेनदेन की जानकारी हो।’
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने जहां यह कहा कि ‘हमें अपने रास्ते से दहेज व्यवस्था को हटाना है’, वहीं उन्होंने बालविवाह के खिलाफ भी जोरदार आवाज बुलंद की और लोगों का आह्वान किया कि इस सामाजिक बुराई से दूरी बनाकर रखें। जैसा कि हम जानते हैं, नीतीश ने सामाजिक बुराईयों से अपनी लड़ाई की शुरुआत राज्य में शराबबंदी से की और इसके उत्साहजनक परिणाम रहे। उन्होंने इस मौके पर बताया भी कि शराब पर पूर्ण प्रतिबंध से किस तरह राज्य में सामाजिक क्रांति का सूत्रपात हुआ, खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में। जाहिर है कि दहेजबंदी और बालविवाह का विरोध इसी की अगली कड़ी है।
जब बिहार के मुख्यमंत्री ने अपनी लड़ाई समाज में फैली बुराईयों से ही छेड़ रखी हो तो भला अशिक्षा की बात वे कैसे नहीं करते, जो वास्तव में तमाम बुराईयों की जड़ है। नीतीश ने जोर देकर कहा कि बाबासाहब अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए दबे-कुचले लोग खुद को साक्षर बनाएं ताकि संविधान में दिए गए अधिकारों का वे इस्तेमाल कर सकें।
गौरतलब है कि कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने बाबासाहब की प्रतिमा पर मात्यार्पण किया। समारोह में जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव एवं विधानसभा में पार्टी के उपनेता श्याम रजक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और बिहार सरकार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार निराला मौजूद थे।
बोल डेस्क