भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर एक के बाद एक घोटाले का आरोप लगा रहे हैं। पहले उन्होंने मिट्टी घोटाले का आरोप लगाया, फिर जमीन घोटाले की बात कही। उसके बाद कहा कि लालू ने बिहटा में शराब फैक्ट्री खुलवाकर करोड़ों की संपत्ति बनाई। सिर्फ 55 हजार निवेश कर करोड़ों की जमीन के मालिक बन गए। और अब उनके नए दावे के मुताबिक लालू 21वीं सदी के सबसे बड़े जमींदार हैं। उनकी एक जगह नहीं, कई जगहों पर जमीन है। फर्जी कंपनी बनाकर वे जमीन हड़पने का काम कर रहे हैं। बकौल मोदी राजद सुप्रीमो की तीस कंपनियां हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन मात्र तीन पतों पर है। ये कंपनियां काले धन को सफेद करती हैं।
प्रश्न उठता है कि लालू पर लगातार हमलावर मोदी को दस्तावेजी सबूत आखिर मिल कहां से रहे हैं? कुछ लोगों का मानना है कि इसके पीछे बीएसएससी घोटाले में आईएएस सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के से उपजी आईएएस लॉबी की नाराजगी है। जेडीयू से भाजपा में आए ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू का भी कहना है कि कुछ अधिकारी मोदी के मददगार बने हुए हैं। स्वयं सुशील कुमार मोदी का दावा है कि बिहार सरकार में शामिल लोग ही उनकी मदद कर रहे हैं। और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार तो सीधे तौर पर मोदी के तथाकथित मददगार को ‘नीतीश का सहयोगी’ करार देते हैं।
बहरहाल, इन सारे घटनाक्रम के मद्देनज़र राजनीतिक गलियारे में अब ये चर्चा आम होती जा रही है कि इन सबके पीछे असली वजह लालू-नीतीश के संबंधों में आई खटास है। कहने की कोई जरूरत नहीं कि अगर इस कयास में थोड़ी भी सच्चाई है तो महागठबंधन सरकार संकट में आ सकती है। वैसे संकट की एक वजह और भी है और वो यह कि विधानसभा चुनावों के दौरान लालू के दोनों बेटों – उपमुख्यमंत्री तेजस्वी और स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप – द्वारा दायर हलफनामे में कहीं उस जमीन का जिक्र नहीं है, जिस पर अभी मॉल बन रहा है और जिस पर उनके मालिकाना हक को (मोदी के आरोपों के सामने आने के बाद) स्वयं लालू स्वीकार कर चुके हैं। यही नहीं, नीतीश सरकार ने 2010 में ही सभी मंत्रियों के लिए हर साल अपनी संपत्ति की जानकारी देने को अनिवार्य बना दिया था। इसके बावजूद 2016-17 में तेजस्वी और तेज प्रताप की ओर से दी गई संपत्ति की जानकारी में ऐसी किसी जमीन का जिक्र नहीं है। स्वाभाविक है कि ऐसे में नीतीश कोई कदम उठाते हैं तो सरकार की सेहत पर उसका सीधा असर होगा।
चलते-चलते बता दें कि इस बीच राजद सुप्रीमो ने अपनी पार्टी के सारे प्रवक्ताओं को बुलाकर बकायदा उन्हें ट्रेनिंग दी है कि मीडिया में मोदी के सारे आरोपों का किस तरह मंहतोड़ जवाब दिया जाय। बकौल लालू तेजस्वी और तेज प्रताप की बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर सुशील मोदी अनर्गल और असंगत आरोप लगा रहे हैं। ये सब उनकी और उनके परिवार की छवि खराब करने की साजिश है। इन आरोपों में कोई दम नहीं है और इनसे हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप