बहुत कम लोगों को पता है कि कोलकाता की उच्च शिक्षित तवायफ गौहर आधुनिक भारत की पहली ऐसी गायिका थीं, जिन्होंने सुगम और अर्द्धशास्त्रीय गायकी को शोहरत व ग्लैमर दिलाया था। जब भी कभी राज दरबारों, रियासतों और संगीत की यादगार महफिलों का इतिहास लिखा जाएगा, गौहर जान का जिक्र सबसे पहले आएगा। नवाब वाजिद अली शाह की दरबारी नृत्यांगना मलिका जान और आर्मेनियाई पिता विलियम की 1873 में जन्मी संतान गौहर की फनकारी, विद्वता और अदाओं ने संगीत प्रेमियों में दीवानगी पैदा की थी। उन्हें देश की पहली ग्लैमरस गायिका कहा जाता है। वह पहली ऐसी गायिका थीं, जिनके गीतों के रिकॉर्ड्स बने थे। 1902 से 1920 के बीच द ग्रामोफोन कंपनी ऑफ इंडिया ने गौहर के हिन्दुस्तानी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, तमिल, अरबी, फारसी, पश्तो, अंग्रेजी और फ्रेंच गीतों के छह सौ डिस्क निकाले थे। उनका दबदबा ऐसा था कि रियासतों और संगीत सभाओं में उन्हें बुलाना प्रतिष्ठा का प्रश्न हुआ करता था। तमाम शोहरत और दौलत के बावजूद गौहर का निजी जीवन त्रासद रहा। प्रेम में धोखा खाने के बाद वह आजीवन अविवाहित रहीं। अकबर इलाहाबादी ने एक दफा कहा था – ‘गौहर के पास शौहर के अलावा सब कुछ है।‘ मैसूर रियासत की दरबारी गायिका रहते हुए 1930 में उनका इंतकाल हो गया।
बोल डेस्क [ध्रुव गुप्त की फेसबुक वॉल से साभार]