सीरिया में हुए केमिकल हमले के जवाब में अमेरिका ने बड़ी जवाबी कार्रवाई की है। गुरुवार रात अमेरिका ने सीरियाई एयरबेस पर दर्जनों क्रूज़ मिसाइल दागे। गौरतलब है कि इस हफ्ते की शुरुआत में सीरियाई सरकार द्वारा किए गए हमले में करीब 80 नागरिक मारे गए थे, जिनमें अधिकांश बच्चे थे। इस घटना के बाद ट्रंप सरकार ने बिना देर किए अपनी पहली बड़ी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया।
यह पहला मौका है जब व्हाइट हाउस ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के करीबी सैन्य दस्तों पर इस तरह की बड़ी कार्रवाई की है। अमेरिका के एक सैन्य अधिकारी ने इस हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि ‘गुरुवार रात सीरिया के एयरबेस पर दर्जनों टॉमहॉक मिसाइल से हमले किए गए हैं।’ ट्रंप प्रशासन ने जिस तेजी के साथ यह फैसला लिया और उसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी, वह चौंकाने वाला है। अधिकारियों के मुताबिक, उन्होंने सभी विकल्प तलाश लिए थे और अंत में यह कदम उठाना पड़ा।
अमेरिका के इस सख्त कदम के निहितार्थ बिल्कुल स्पष्ट हैं। अभी तक सीरिया, यमन और इराक में जो ऑपरेशन चल रहे थे वह एक तय प्रक्रिया के तहत अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की सीधी निगरानी में हो रहे थे। पर ट्रंप का यह फैसला उत्तरी कोरिया, ईरान और ऐसी ही उभरती ताकतों के लिए खुला संदेश है, जिसका सीधा सा मतलब है कि नई सत्ता जवाबी हमले करने के लिए पूरी तरह तैयार है और कई बार बिना मौका दिए भी।
उधर ट्रंप की इस कार्रवाई से रूस सख्त नाराज है, क्योंकि वो इस लड़ाई में सीरियाई राष्ट्रपति असद के साथ खड़ा है। वैसे ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि वह रूस के साथ संबंध बेहतर कर वैश्विक समस्याओं को सुलझाने के पक्ष में है, लेकिन अब चूंकि अमेरिका ने असद सरकार को निशाने पर ले लिया है, ऐसे में दुनिया की नज़रें पुतिन के भावी रुख पर टिक गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि इस हमले के बाद रूस तटस्थ रुख अपना लेगा, ऐसी उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। फिलहाल रूसी राष्ट्रपति ने इसे ‘गैरकानूनी’ तो करार दे ही दिया है।
बोल डेस्क