30 एवं 31 मार्च को राजधानी पटना स्थित फणीश्वर नाथ रेणु हिन्दी भवन में मंत्रिमंडल सचिवालय के राजभाषा (हिन्दी) निदेशालय द्वारा दो दिवसीय राजभाषा हिन्दी साहित्य समागम का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने किया। इस मौके पर वर्ष 2014-15 और 2016-17 के लिए क्रमश: 13 और 17 साहित्यकारों को राजभाषा सम्मान एवं पुरस्कारों से नवाजा गया। शिक्षा मंत्री के साथ-साथ विधान पार्षद व साहित्यकार रामवचन राय, चयन समिति के अध्यक्ष केदारनाथ सिंह एवं हिन्दी प्रगति समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण ने राजभाषा पुरस्कार प्रदान किए। 2015-16 का पुरस्कार तकनीकी वजहों से नहीं दिया जा सका।
सम्मानित साहित्यकारों में बिहार के कई बड़े नाम शामिल हैं। प्रतिष्ठित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान रामनिरंजन परिमलेन्दु व खगेन्द्र ठाकुर को दिया गया। सुरेन्द्र स्निग्ध व चन्द्रकिशोर जायसवाल को जननायक कर्पूरी ठाकुर सम्मान, तो आलोक धन्वा व मदन कश्यप को नागार्जुन पुरस्कार मिला। स्व. तुलसी राम, योगेन्द्र प्रसाद व रामरक्षा दास को बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर पुरस्कार, नंदकिशोर नंदन व रामधारी सिंह दिवाकर को बीपी मंडल पुरस्कार, बृजनंदन किशोर, रवीन्द्र भारती व कुमार नयन को राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार एवं सुरेश कांटक व अनंत कुमार सिंह को फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार से नवाजा गया।
सम्मानित होने वाले अन्य साहित्यकार हैं – रश्मि वर्मा व सविता सिंह (महादेवी वर्मा पुरस्कार), गंगेश गुंजन व देवशंकर नवीन (विद्यापति पुरस्कार), अशोक कुमार सिन्हा व उदय शंकर शर्मा (मोहनलाल महतो वियोगी पुरस्कार), अक्षयवर दीक्षित (भिखारी ठाकुर पुरस्कार), जाबिर हुसैन व ए अरविंदाक्षण (बाबू गंगाशरण सिंह पुरस्कार), आरएस सर्राजू व राजेन्द्र प्रसाद सिंह (ग्रियर्सन पुरस्कार) और डीएन गौतम (डॉ. फादर कामिल बुल्के पुरस्कार)। इनके अतिरिक्त राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा व दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा को विद्याकर कवि पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
गौरतलब है कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शिखर सम्मान की सम्मान राशि तीन लाख रुपए, बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर पुरस्कार की ढाई लाख रुपए, जननायक कर्पूरी ठाकुर पुरस्कार, बीपी मंडल पुरस्कार, नागार्जुन पुरस्कार, राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार और फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार की दो-दो लाख रुपए तथा शेष सभी पुरस्कारों की पचास-पचास हजार रुपए है।
बहरहाल, इस अवसर पर शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने कई महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित किया। उन्होंने हिन्दी को ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बनाने की जरूरत बताई। तेजी से बदल रहे समय को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दी विभाग को ‘एप्लीकेशन’ बनाना चाहिए। उन्होंने हिन्दी में काम कर रहे निजी क्षेत्र के उद्यमों को टैक्स में छूट देने पर विचार करने की बात भी कही। राजभाषा निदेशालय से उन्होंने कहा कि मशीन ट्रांसलेशन के क्षेत्र में आईटीआई (पटना) के साथ मिलकर काम करे।
कुल मिलाकर साहित्यकारों के समागम और सम्मान का यह अनूठा आयोजन था, जिसे रामवचन राय ने ‘हिन्दी के अर्द्धकुंभ’ की बिल्कुल सही संज्ञा दी।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप