भोजपुरी के बहाने बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने भाजपा पर निशाना साधने की कोशिश की है। गौरतलब है कि बिहार कैबिनेट ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार से आधिकारिक आग्रह करने का फैसला लिया है। कैबिनेट के इस फैसले के बाद अब जेडीयू इस मुद्दे पर दिल्ली में एक बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी में है, जिसमें नीतीश कुमार भी शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार, दिल्ली नगर निगम चुनाव में उतर रही जेडीयू इस मुद्दे पर भाजपा को घेरना चाहती है।
दरअसल भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर पिछले कई सालों से राजनीति और आंदोलन (आंदोलन कम राजनीति ज्यादा) साथ-साथ चलते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था, लेकिन सरकार में आने के बाद से अब तक इस दिशा में कोई निर्णायक पहल नहीं हुई है। बिहार चुनाव से ठीक पहले भी इस मुद्दे को उठाया गया था और भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर इसके लिए तत्काल पहल करने का आग्रह किया था।
अब नीतीश कुमार ने भोजपुरी भाषा की इस पुरानी मांग को भाजपा से हथियाने के लिए अपना दांव खेला है। दिल्ली में जेडीयू के प्रभारी संजय झा का कहना है कि उनकी पार्टी भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के मुद्दे पर बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी और उन्हें इस इलाके के तमाम लोगों का समर्थन मिलेगा। कहने की जरूरत नहीं कि बिहार और पूर्वांचल में भोजपुरी बोलने वालों की तादाद लाखों में है और दिल्ली में भी इनकी मौजूदगी बड़ी संख्या में है। मनोज तिवारी को दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष बनाने के पीछे भाजपा का उद्देश्य भी भोजपुरी क्षेत्र से दिल्ली आकर बसे लोगों को लुभाना ही था। बहरहाल, दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले नीतीश ने जो ‘मास्टर स्ट्रोक’ खेला है, उसका भाजपा क्या जवाब देती है, ये देखना दिलचस्प होगा।
बोल डेस्क