पृथ्वी का मैंटल यानि इसकी सतह और केन्द्र के बीच पड़ने वाली वह मोटी परत, जहां से ज्वालामुखियों का लावा निकलता है, वैज्ञानिकों के अब तक के अनुमान से कहीं ज्यादा गर्म है। अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि इस जगह का तापमान 1350 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। लेकिन नए शोध से पता चला है कि इसका तापमान 1410 डिग्री सेल्सियस है। इस तरह कुल 60 डिग्री सेल्सियस का फर्क सामने आया है। ये महत्वपूर्ण शोध मैसाचुसेट्स के वुड्स होल ओशनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन और एमआईटी के वैज्ञानिकों ने किया है।
गौरतलब है कि अब तक वैज्ञानिक इस तापमान को दो तरीके से आंकते थे। एक तो भूकंप आने पर इस क्षेत्र में होने वाले इलेक्ट्रिकल चार्ज की गतिविधियों से वे इसका अनुमान लगाते थे। दूसरे समुद्र के नीचे मौजूद ज्वालामुखियों से मिलने वाली सूचनाओं के आधार पर इसका पता लगाते थे। लेकिन इन दोनों ही विधियों में उन्हें हर हाल में पानी का सामना करना पड़ता था, जिससे वास्तविक तापमान का पता नहीं चल पाता था। इस बार वैज्ञानिकों ने धरती के बीच मौजूद चट्टानों के साथ कुछ सिंथेटिक पदार्थों का प्रयोग करके पानी हटाने में कामयाबी पा ली। इसके बाद वास्तविक तापमान का पता चला।
बहरहाल, शोध करने वाले वैज्ञानिकों में से एक एमिली साराफियान बताती हैं कि अब तक वैज्ञानिक दस डिग्री सेल्सियस के फर्क पर भी आसमान सिर पर उठा लेते थे। लेकिन इस बार वे क्या कहेंगे, क्योंकि 60 डिग्री सेल्सियस का फर्क अपने आप में बहुत बड़ा फर्क है।
बोल डेस्क