अंतर्राष्ट्रीय कैंसर शोध एजेंसी आईएआरसी का कहना है कि हर साल सर्वाइकल कैंसर ढाई लाख से भी ज्यादा महिलाओं की जान ले लेता है। इनमें से करीब 85 फीसदी मौतें कम और मध्य आय वाले देशों में होती हैं। सर्वाइकल कैंसर का इलाज करने वाले विभाग का कहना है कि महिलाओं को इस कैंसर से बचाने के लिए दवाओं का सही मात्रा में उपलब्ध होना और उनका सही इस्तेमाल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
विभाग का कहना था कि सर्वाइकल कैंसर होने से पहले ही समुचित रूप में निगरानी करके हजारों महिलाओं की जान बचाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए तमाम देशों की सरकारों को मजबूत राजनीतिक और नीतिगत इरादा दिखाना होगा। दरअसल, कम आय व सीमित संसाधनों वाले देशों में स्वास्थ्य सेवाओं के कमजोर ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं में प्रतिस्पर्द्धा व मुनाफाखोरी की होड़ की वजह से भी सर्वाइकल कैंसर को रोकने में बाधाएं आती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि निराधार सांस्कृतिक अवधारणाओं को भी दूर करने की सख्त जरूरत है। अनेक देशों में देखा गया है कि लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य को अहमियत नहीं दी जाती है और बहुत से परिवार और अनेक सरकारें भी महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए धन खर्च करने में हिचकिचाती हैं।
बोल डेस्क [‘संयुक्त राष्ट्र रेडियो’ वेब पोर्टल से साभार]