सोचिए, कोई प्रतियोगिता हो जिसमें भारत के साथ मुकाबले में रूस और अमेरिका जैसे देश हों और आखिर में परिणाम आए – अमेरिका-29, रूस-37, भारत-104, यानि भारत न केवल प्रतियोगिता जीते बल्कि कुछ इस तरह जीते कि लगे कोई मुकाबला ही नहीं था! क्या सीना चौड़ा नहीं हो जाएगा आपका? अरे जनाब, सीना चौड़ा ही नहीं होगा बल्कि फैलकर आसमान हो जाएगा। और आसमान हो भी क्यों न? मुकाबला भी तो अंतरिक्ष का है! हाँ अंतरिक्ष, जिस पर अब राज है हमारा। इसरो ने अपनी सफलता का ऐसा परचम लहराया है कि सारा अंतरिक्ष ‘तिरंगा’ हो गया है।
इससे पहले कि आप सोचें कि मैं पहेलियां बुझा रहा हूँ, बता दूं कि इसरो ने आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से एक ही रॉकेट से अंतरिक्ष में 104 सैटेलाइट छोड़कर अमेरिका और रूस को कोसों पीछे छोड़ दिया है। अभी तक एक साथ सबसे ज्यादा 37 सैटेलाइट छोड़ने का रिकॉर्ड रूस के नाम था। उसके बाद अमेरिका का नंबर था जिसने एक साथ 29 सैटेलाइट लॉन्च किया था।
बता दें कि पीएसएलवी-सी-37 कार्टोसैट-2 सीरीज वाले इस सैटेलाइट मिशन को श्रीहरिकोटा से भारतीय समयानुसार सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया। पहले 714 किलोग्राम वजन वाले कॉर्टोसैट -2 सीरीज के सैटेलाइट को पृथ्वी पर निगरानी के लिए प्रक्षेपित किया गया। इसके बाद 103 नैनो सैटेलाइट को पृथ्वी से करीब 520 किलोमीटर दूर पोलर सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में एक-एक कर प्रविष्ट कराया गया। सभी सैटेलाइट 28 मिनट बाद 9 बजकर 56 मिनट पर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हो गए।
गौरतलब है कि जो 103 नैनो सैटेलाइट इसरो ने लॉन्च किए हैं उनमें से 101 दूसरे देशों – 96 अमेरिका और 1-1 इस्राइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात – के हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंगलयान की कामयाबी के बाद इसरो की विश्वसनीयता और स्वीकार्यता किस कदर बढ़ गई है। इसरो की कमर्शियल इकाई ‘अंतरिक्ष’ को लगातार विदेशी सैटेलाइट लॉन्च करने के ऑर्डर मिल रहे हैं। कम कीमत पर लॉन्चिंग को लेकर इसने दुनिया भर की स्पेस एजेंसियों को पीछे छोड़ दिया है। याद दिला दें कि इसरो ने पिछले साल भी जून में एक साथ 20 सैटेलाइट लॉन्च किया था। इन 20 सैटेलाइट समेत इससे पहले 50 विदेशी सैटेलाइट इसरो लॉन्च कर चुका था।
सलाम इसरो, बस ऐसे ही इतिहास रचते रहो और यूं ही इजाफा करते रहो हमारे भारतीय होने के गर्व में।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप