अनिद्रा आधुनिक समय की एक बड़ी समस्या है। हम आज अच्छी तरह जानते हैं कि यह उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे, मस्तिष्काघात, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसे कई रोगों का प्रवेश-द्वार है। लेकिन क्या आपको यह पता था कि अनिद्रा का संबंध दमा से भी है? जी हाँ, नॉर्वे में हुए एक शोध से पता चला है कि नींद न आने के कारण दमा का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है। 18 हजार वयस्कों पर हुए इस शोध में कहा गया है कि रात के समय अधूरी नींद से जूझने वालों को सांस संबंधी बीमारियों का खतरा अधिक रहता है।
डॉ. ब्रेन ब्रम्पटन की अगुआई में हुए इस शोध के मुताबिक अनिद्रा से जूझ रहे लोगों में दमा होने का खतरा 65 प्रतिशत तक अधिक रहता है। पूरी-पूरी रात जागने वालों में यह समस्या और भी बढ़ जाती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अनिद्रा के कारण शरीर में होने वाले बदलाव का श्वसन तंत्र पर गंभीर प्रभाव हो सकता है।
हमारी जीवन-शैली में घर कर गई अनियमितता, खाने-पीने की गलत आदत, धूम्रमान, गाड़ियों व कारखानों आदि से होने वाला वायु प्रदूषण और मोटापा अनिद्रा और उससे जनित दमा में और इजाफा करने वाले कारक हैं। आंकड़े बताते हैं कि अकेले ब्रिटेन में 54 लाख लोग दमा के शिकार हैं। इस बीमारी के कारण वहां एक दिन में तीन लोगों की मौत हो जाती है। भारत की बात करें तो यहाँ के 58 प्रतिशत युवा पूरी नींद नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति कितनी भयावह है और हमें किस हद तक सावधान रहने की जरूरत है।
बोल डेस्क