दुनिया का सबसे बड़ा और ऊँचा हिन्दू मंदिर बिहार के पूर्वी चंपारण के जानकी नगर में बनने जा रहा है। पटना के महावीर मन्दिर ट्रस्ट द्वारा बनवाए जा रहे इस मंदिर का निर्माण अगले साल मार्च में शुरू होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार 168 एकड़ में फैले इस विराट रामायण मंदिर को बनने में कम-से-कम आठ साल लगेंगे और इसके निर्माण में करीब 1000 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
अपने आप में अनोखे विराट रामायण मंदिर का मुख्य आकर्षण इसकी 405 फीट ऊँची अष्टभुजीय मीनार होगी। इसके भव्य परिसर में कुल 18 मंदिर बनाए जाएंगे और पहले चरण में रामायण मंदिर, शिव मंदिर और महावीर मंदिर का निर्माण होगा। 2268 फुट लंबे और 1296 फुट चौड़े आधार वाले इस मंदिर के शिखर पर राम-सीता, लव-कुश के साथ-साथ वाल्मीकि की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी और मंदिर के मुख्य हॉल में एक साथ 25,000 लोग पूजा-अर्चना कर सकेंगे। मंदिर परिसर में 44 फुट ऊँचा और 33 फुट परिधि वाला शिवलिंग भी स्थापित किया जाएगा जो दुनिया का सबसे ऊँचा और बड़ा शिवलिंग होगा। मुख्य शिवलिंग के अलावे मंदिर में 1008 और छोटे-छोटे शिवलिंग भी होंगे। मंदिर परिसर में हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हुए समुद्र मंथन के दृश्य को भी साकार किया जाएगा। साथ ही परिसर की चारदीवारी पर रामायण से जुड़े प्रसंगों की डिजिटल प्रस्तुति की भी योजना है।
बता दें कि विराट रामायण मंदिर की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के आर्किटेक्ट अहमदाबाद के पीयूष सोमपुरा और पटना के श्याम प्रसाद हैं तथा निर्माण की जिम्मेदारी प्रसिद्ध विनिर्माण कंपनी एल एंड टी को दी गई है। परियोजना से जुड़ी एक और अहम बात यह कि इसके लिए हिन्दुओं के साथ-साथ कई मुसलमानों ने भी मामूली दर पर जमीन दी है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कंबोडिया सरकार ने इस मंदिर के बनने पर आपत्ति जताई थी। आपत्ति थी कि रामायण मंदिर का निर्माण कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तर्ज पर किया जा रहा है। दरअसल पहले इस मंदिर को कंबोडिया के प्रसिद्ध अंकोरवाट मंदिर की प्रतिमूर्ति के तौर पर बनाए जाने की योजना थी और इसका नाम रखा गया था – विराट अंकोरवाट राम मंदिर। बता दें कि अंकोरवाट मंदिर वर्तमान में सबसे ऊँचा हिन्दू मंदिर माना जाता है और यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल है।
बहरहाल, कंबोडियाई दूतावास की आपत्ति के बाद न सिर्फ प्रस्तावित मंदिर का प्रारूप और नाम बदला गया बल्कि अंकोरवाट मंदिर से भी ऊँचे और बड़े मंदिर के निर्माण की योजना बनाई गई। पटना महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के अनुसार अब आपत्ति का मसला सुलझ गया है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि मार्च 2017 से मंदिर का निर्माण-कार्य निर्विघ्न शुरू हो जाएगा।
‘बोल बिहार’ के लिए रूपम भारती