नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने शनिवार को पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नोटबंदी के समर्थन के फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा – “नोटबंदी का कालाधन से कोई लेना-देना नहीं है। कालाधन जिनके पास था, उनलोगों ने प्रॉपर्टी में लगा रखा है। बिना तैयारी के नोटबंदी करके आमलोगों की मुसीबतें बढ़ा दी गई हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नोटबंदी का समर्थन नहीं करना चाहिए था। उन्हें इस पर फिर से विचार करना चाहिए।”
जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि केन्द्र में जब से नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी है, लोकतंत्र पर हमले बढ़े हैं। देश के विश्वविद्यालयों में भाजपा और आरएसएस अपने छात्र संगठनों को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं और खामखां वहाँ का माहौल बिगाड़ रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर की चर्चा करते हुए मेधा ने कहा कि वहाँ हजारों बच्चों की मौत हो गई। कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए संवाद होना चाहिए। वहाँ हुर्रियत भी संवाद चाहती है। संवाद से ही समस्याओं का हल निकल सकता है।
मेधा पाटकर ने बिहार में शराबबंदी की प्रशंसा की, लेकिन इसके कड़े प्रावधानों की उन्होंने आलोचना की। उन्होंने कहा कि शराबबंदी सही कदम है, लेकिन इसे लागू करने के लिए जिस तरह कड़े प्रावधान किए गए हैं, वह गलत है। इन्हें हटाने के लिए उन्होंने बिहार सरकार को पत्र भी लिखा है।
गौरतलब है कि मेधा पाटकर एनएपीएम (नेशनल एलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट) के 11वें राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने पटना पहुँची थीं। यहाँ के अंजुमन इस्लामिया हॉल में तीन दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन में 20 राज्यों के करीब 250 जनसंगठन या जनआंदोलन के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
‘बोल बिहार’ के लिए रूपम भारती