समाजवादी पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल से तालमेल की तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी किसी से गठबंधन नहीं करेगी। यूपी में सपा अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है। हालांकि सपा मुख्यालय में मुलायम ने यह ऑफर जरूर रखा कि अगर कोई दल समाजवादी पार्टी में विलय करना चाहता है तो उसके लिए रास्ते खुले हैं।
गौरतलब है कि मुलायम बुधवार को ही रालोद प्रमुख अजित सिंह और जेडीयू नेता शरद यादव से दिल्ली में गठबंधन पर बात करने के बाद लखनऊ लौटे थे। कुछ दिन पहले कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी मुलायम की मुलाकात हुई थी। ऐसे में मुलायम के इस बयान के बाद यूपी में राजनीतिक चर्चाओं का बाज़ार नए सिरे से गर्म हो गया है।
मुलायम के इस कदम की कई व्याख्याएं सामने आ रही हैं। उनमें से एक यह है कि रालोद से सीटें तय करने को लेकर उनकी बात नहीं बन पाई और अब वह चाहते हैं कि अजित सिंह समाजवादी पार्टी में आ जाएं और अपनी पार्टी का विलय कर लें। कुछ महीने पहले जब अमर सिंह और सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की कोशिशों के बाद मुलायम ने अजित से मुलाकात की थी, तब भी उन्होंने यही शर्त रखी थी।
वैसे देखा जाय तो सपा यूपी में गठबंधन को लेकर कभी बहुत गंभीर नहीं दिखी है। मुख्यमंत्री अखिलेश भी इस मुद्दे पर कुछ खास उत्सुक नहीं हैं। इसी वजह से उन्होंने फैसला सपा सुप्रीमो पर छोड़ रखा है। कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी वह लालू और मुलायम के कई बार कहने के बाद ही मिले थे। अखिलेश तो कहते भी रहे हैं कि गठबंधन के बगैर भी वह 2017 के चुनावों में बहुमत हासिल कर सकते हैं।
बहरहाल, महागठबंधन की तमाम कोशिशों को मुलायम के इस बड़े झटके के बाद अजित सिंह, नीतीश कुमार के साथ कांग्रेस भी सतर्क हो गई है। सूत्रों के मुताबिक अब ये दल भी गठबंधन के मुद्दे पर सपा से अपनी ओर से कोई बात नहीं करेंगे। बल्कि जरूरत पड़ी तो सपा के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने और हमालवर होने से भी गुरेज नहीं करेंगे।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप