विश्व क्रिकेट के अनूठे कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की ‘अनटोल्ड’ स्टोरी, ‘अ वेडनसडे’, ‘स्पेशल छब्बीस’ और ‘बेबी’ जैसी उम्दा फिल्में देने वाले नीरज पांडे का निर्देशन और धोनी को जीवंत कर देने वाला सुशांत सिंह राजपूत का अभिनय – क्रिकेट के किसी रोमांचक मैच जैसा एहसास कराती है ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’।
फिल्म की कहानी शुरू होती है 2011 में खेले जा रहे वर्ल्ड कप मैच से। ड्रेसिंग रूम में बैठे भारतीय टीम के कप्तान धोनी यह फैसला लेते हैं कि युवराज सिंह की जगह वे खुद बल्लेबाजी करने जाएंगे। इसके बाद कहानी सीधे 30 साल पीछे चली जाती है, जब पान सिंह धोनी (अनुपम खेर) के यहाँ महेन्द्र सिंह धोनी (सुशांत सिंह राजपूत) का जन्म होता है। माही यानि धोनी क्रिकेट का शौकीन है और घरवाले चाहते हैं कि उसकी रेलवे में नौकरी लग जाए। वही आम भारतीय घर के हालात, जो फिल्म को रियलिस्टिक बनाती है। लेकिन एक ऑफर माही और इस फिल्म की दिशा बदल देता है।
फिल्म में माही का रांची से दिल्ली तक का सफर, प्रियंका (दिशा पटानी) से प्यार और फिर साक्षी (कियारा आडवाणी) के साथ शादी को काफी दिलचस्प तरीके से पेश किया गया है। उसके बाद फिल्म वहाँ पहुँचती है जहाँ से शुरू हुई थी और 2011 का वर्ल्ड कप जीतने के साथ फिल्म पूरी हो जाती है।
वैसे तो धोनी के फैंस उनसे जुड़ी कई अहम बातों के बारे में जानते होंगे, लेकिन इस फिल्म में उनकी ज़िन्दगी में आए उन पड़ावों को भी बखूबी पेश किया गया है, जिनके बारे में ना तो उनके फैंस जानते हैं और ना ही जिनका कभी धोनी ने जिक्र किया। उनकी कहानी को नीरज पांडे ने इतनी सरलता और सहजता के साथ पेश किया है कि जो लोग क्रिकेट देखना पसंद नहीं करते उन्हें भी यह अच्छी लगेगी। अपने कंटेंट और ट्रीटमेंट के कारण फिल्म खास तरह के दर्शकों के दायरे में नहीं बंधती, बल्कि हर किसी को प्रेरित करने का माद्दा रखती है कि किस तरह एक छोटे शहर का लड़का अपनी मेहनत, लगन और जुनून के दम पर अपनी मंजिल पाने में कामयाब होता है।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और लोकेशंस लाजवाब हैं। कैमरा वर्क ऐसा है कि आप विजुअल से ध्यान नहीं हटा पाते। ग्राफिक्स की मदद से हर मौके पर धोनी के चेहरे पर सुशांत का चेहरा फिट करना प्रभावित करता है। फिल्म का म्यूजिक कहानी को पूरी तरह सपोर्ट करने वाला है। फिल्म के कुछ संवाद हमें सरप्राईज करते हैं और धोनी की ज़िन्दगी की अनकही बातों से परिचित कराते हैं। कुल मिलाकर तीन घंटे लम्बी इस फिल्म में इमोशन, रोमांस और जोश के साथ ढेर सारा मनोरंजन है, पर ‘लव’ और ‘लेंथ’ थोड़ा कम रखा जाता तो फिल्म और ज्यादा क्रिस्प और असरदार होती।
‘बोल बिहार’ के लिए रूपम भारती