चाणक्य, जिन्होंने भारतवर्ष को पहला सम्राट दिया, जिनसे ‘अर्थशास्त्र’ को अर्थ मिला और निर्विवाद रूप से जिनका नाम कूटनीति का पर्याय है, आज खुद अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जी हाँ, राजधानी के पटना सिटी स्थित चाणक्य की गुफा आज खंडहर में तब्दील हो चुकी है। जिस जगह को हर दिन पर्यटकों से गुलजार रहना चाहिए था, आज वो ना केवल बदहाली का शिकार है, बल्कि अपना अस्तित्व तक खोने की कगार पर है।
चाणक्य की यह गुफा पटना सिटी के हीरानंद साह घाट पर स्थित है। मान्यता है कि पाटलिपुत्र में मौर्य शासन के दौरान चाणक्य इस गुफा में बैठकर लिखते थे। उन्होंने यहाँ जीवन का महत्वपूर्ण समय गुजारा। आज आलम यह है कि उनकी गुफा झाड़ियों में गुम हो रही है। इतिहास की इस धरोहर को अब तक ना तो पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है और ना ही इसे संरक्षित करने की कोई तत्परता दिखाई गई है।
गौरतलब है कि इस गुफा में कभी चाणक्य की काले रंग की मूर्ति शोभायमान हुआ करती थी, जो अब चोरी हो चुकी है। उस मूर्ति अलावा भी गुफा में कई बेशकीमती मूर्तियां थीं, जो आज की तारीख में गायब बताई जाती हैं।
हाल के वर्षों में कई संगठनों ने चाणक्य की गुफा को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग बुलंद की है। लेकिन सरकारी उदासीनता इस पर भारी पड़ी है। आज स्थिति यह है कि स्थानीय लोगों ने गुफानुमा टीला के पास की जमीन पर भी कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। क्या हम अपने गौरवशाली अतीत के प्रति भी सचमुच इतने ‘निर्मम’ और ‘विवेकशून्य’ हो सकते हैं?
‘बोल बिहार’ के लिए रूपम भारती