जेल, जहाँ समाज से ‘निष्कासन’ झेल रहे व्यक्ति रहते हैं, वहाँ भी अगर विकास की किरण पहुँचाने की कोशिश हो तो इससे निश्चित रूप से नीतीशराज के ‘सुशासन’ की पुष्टि होती है। जी हाँ, बढ़ते बिहार के दावे को तब बल मिलता है, जब हम जानते हैं कि बिहार देश का पहला राज्य है जहाँ प्रिजन ईआरपी (इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) सिस्टम लागू किया गया है। गौरतलब है कि सबसे पहले इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पटना स्थित बेउर जेल में स्थापित किया गया। अब इस साल नवंबर से इसे राज्य की सभी 56 जेलों में लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत जेल से संबंधित तमाम कार्य जैसे गेट मैनेजमेंट, आर्म्स मैनेजमेंट आदि तथा कैदियों से संबंधित सभी जानकारियां कम्प्यूटराइज्ड हो जाएंगी।
जेल आईजी आनंद किशोर के अनुसार प्रिजन ईआरपी सिस्टम में ई-प्रिजन के अलावा बिहार में सात मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। राज्य की सभी जेलों में इस सिस्टम को लागू करने के लिए केन्द्रीय काराओं में 6-6, मंडल काराओं में 4-4 और उपकाराओं में 3-3 कम्प्यूटर सेट लगाए जा रहे हैं। सभी जेलों में कियोस्क मशीन भी लगाई जा रही है। कैदी इससे कोर्ट की अगली तारीख समेत टच स्क्रीन के माध्यम से कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।
ईआरपी सिस्टम लागू होते ही राज्य की सभी जेलों का कामकाज ना केवल ‘पेपरलेस’ हो जाएगा, बल्कि उसमें गति और पारदर्शिता भी आएगी। इससे कैदियों का डाटा कम्प्यूटराइज्ड किया जा सकेगा और अधिकारी किसी दूसरी जेल से संबंधित जानकारी भी आसानी से हासिल कर पाएंगे। इस तकनीक के जरिए सभी जेलों का सीधा जुड़ाव मुख्यालय से होगा।
बता दें कि ईआरपी प्रणाली सुचारू रूप से काम करे इसके लिए 536 पदों का सृजन भी किया गया है। इसमें उपनिदेशक और सिस्टम एनालिस्ट के एक-एक पद के अलावा 10 प्रोग्रामर, 43 सहायक प्रोग्रामर और 481 डाटा इंट्री ऑपरेटर के पद हैं।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप