अमेरिका में क्रिकेट को बढ़ावा देने की कोशिशों के तहत 27 और 28 अगस्त को फ्लोरिडा में भारत और वेस्टइंडीज की टीमों के बीच दो टी-20 मैच खेले गए। अमेरिका में पिछले कुछ सालों से क्रिकेट को जमाने की कोशिश की जा रही है। 2010 में वहाँ न्यूजीलैंड और श्रीलंका के बीच दो मैचों की टी-20 सीरीज खेली जा चुकी है। हाल में सीपीएल (कैरीबियाई प्रीमियर लीग) के कई मैच यहाँ के सेन्ट्रल ब्रोवार्ड रीजनल पार्क एंड स्टेडियम में खेले गए। पिछले साल सचिन तेन्दुलकर और शेन वार्न ने मिलकर वहाँ ऑल स्टार सीरीज का आयोजन किया था।
अब बीसीसीआई भी अमेरिका में क्रिकेट को लेकर गंभीर दिख रही है। बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि कुछ गैर पारंपरिक जगहों पर भी क्रिकेट मैचों के आयोजन किए जाएं। इससे दोहरा फायदा होता है। एक तो नया बाजार मिलता है, नए फैन बनते हैं, दूसरी तरफ क्रिकेट की ग्रोथ सुनिश्चित होती है। उनकी दलील है कि पहले भी कनाडा और संयुक्त अरब अमीरात जैसी जगहों पर अंतर्राष्ट्रीय मैच आयोजित किए गए, जहाँ काफी उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखने को मिली।
बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का दबाव क्रिकेट पर भी पड़ रहा है। इसका सबसे बुरा पक्ष यह है कि क्रिकेट का भूगोल सिकुड़ने लगा है। एक समय पश्चिमी गोलार्द्ध में क्रिकेट का गढ़ कहलाने वाले वेस्टइंडीज में उसकी जड़ें कमजोर पड़ने लगी हैं। वहाँ कई संभावित क्रिकेटर बेसबॉल और बास्केटबॉल का दामन थामकर अमेरिका का रुख कर रहे हैं, या फिर क्रिस गेल की तरह टी-20 का आइकन खिलाड़ी बनकर वेस्ट इंडियन क्रिकेट से अपना नाता ही तोड़ ले रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इक्कीसवीं सदी में क्रिकेट का बाज़ार पूरी तरह दक्षिण एशिया में सिमट गया है।
यहाँ भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अब बांग्लादेश में भी हालात खराब रहने की वजह से दूसरे देश वहाँ खेलने से कतरा रहे हैं। ऐसे में कुछ विशेषज्ञों की राय है कि क्रिकेट को बचाने के लिए इसका दायरा उन देशों तक पहुँचाया जाय, जहाँ दक्षिण एशियाई लोग बड़ी संख्या में रहते हों। इस लिहाज से सबसे ज्यादा संभावना अमेरिका में ही है। वहाँ भारतीय और अन्य दक्षिण एशियाई लोग बड़ी तादाद में हैं।
बहरहाल, अमेरिका में इन मैचों के आयोजन के बाद वहाँ एक स्थानीय टीम तैयार करने की कोशिश भी की जानी चाहिए। संयोग से वहाँ बेसबॉल काफी लोकप्रिय है, जो क्रिकेट से बहुत हद तक मिलता-जुलता है। और फिर अपने छोटे और स्मार्ट फॉर्मेट के चलते टी-20 अमेरिका के तेज-तर्रार मिजाज के अनुकूल भी पड़ता है।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप