बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने बीते मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य प्रशांत किशोर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कहा कि अगर प्रशांत राज्य में अपने दायित्व के प्रति न्याय नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए। मोदी ने यहाँ तक कहा कि अगर वो इस्तीफा नहीं देते तो मुख्यमंत्री को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए।
‘विजन डॉक्यूमेंट’ पर नीतीश और उनके परामर्शी को घेरते हुए मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बड़े जोर-शोर से वर्ष 2025 को आधार बनाकर गांवों का ‘विजन डॉक्यूमेंट’ बनाने की घोषणा की थी, पर एक साल के बाद भी उसका कोई अता-पता नहीं है, जबकि इस मामले में संबंधित कम्पनी को नौ करोड़ रुपए का भुगतान भी हो चुका है। सुमो ने इस संबंध में यह दावा भी किया कि ‘विजन डॉक्यूमेंट’ का काम जिस सिटीजन अलायंस कम्पनी को दिया गया था, उसका संबंध प्रशांत किशोर से था।
सुमो का कहना है कि परामर्शी होने के नाते प्रशांत बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य भी हैं, लेकिन 31 मई को शासी निकाय की बैठक में वो अनुपस्थित थे। बकौल मोदी पिछले चार-पाँच महीने के दौरान प्रशांत एक-दो बार ही बिहार आए। बिहार से अधिक उनका समय उत्तर प्रदेश और पंजाब में बीत रहा है जहाँ विधानसभा चुनाव होने हैं, क्योंकि इन चुनावों के लिए वो कांग्रेस के सलाहकार बने हैं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि परामर्शी के रूप में प्रशांत किशोर ने उन्हें पिछले आठ महीने में कितनी सलाह दी है?
इसमें कोई दो राय नहीं कि सुशील मोदी ने जो सवाल उठाए हैं वे महत्वपूर्ण हैं, पर हमेशा ‘दिल्ली के मोदी’ से भिड़े रहने वाले नीतीश ‘बिहार के मोदी’ को बहुत गंभीरता से लेंगे, इसमें संदेह है। भले ही जवाब ना मिले लेकिन सवाल ये भी है कि नीतीश को तरकश में बस एक शराबबंदी का ‘तीर’ लेकर भारत-विजय पर निकलने की सलाह भी क्या ‘पीके’ (प्रशांत किशोर) ने दी है?
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप