सवा सौ करोड़ भारतीयों का इंतजार पूरा हुआ। आखिरकार रोहतक की साक्षी मलिक ने अपने ‘पसीने’ से रियो ओलंपिक में मेडल का सूखा खत्म कर ही दिया। इस 23 वर्षीया महिला रेसलर का भारत के लिए पहला मेडल जीतना खेलप्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं। बता दें कि साक्षी पहली भारतीय महिला पहलवान हैं जिन्होंने फ्री स्टाइल कुश्ती में ये कामयाबी हासिल की है। इसके अलावे वो भारतीय ओलंपिक इतिहास की चौथी महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ये मुकाम हासिल किया है। उनसे पहले कर्णम मलेश्वरी, मैरी कॉम और साइना नेहवाल ये कमाल कर चुकी हैं।
साक्षी ने महिला रेसलिंग के 58 किलोग्राम फ्री स्टाइल मुकाबले में किर्गिस्तान की एसुलू तिनिवेकोवा को 8-5 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। उन्होंने ये मुकाबला कड़े संघर्ष के बाद जीता। पहले राउंड में साक्षी अपनी प्रतिद्वंद्वि से 0-5 से हार गईं थीं। यहाँ तक कि दूसरे राउंड में भी वो शुरुआत में पिछड़ी हुई थीं लेकिन फिर जबरदस्त तरीके से वापसी करते हुए उन्होंने मुकाबला जीत लिया। अपनी ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद साक्षी ने कहा कि “मैं जानती थी कि रियो ओलंपिक में पदक मेरा इंतजार कर रहा है। मैं इसके लिए 12 सालों से मेहनत कर रही थी। अब मेरी तपस्या सफल हो गई है।”
रियो में इतिहास रचने वाली साक्षी ने इससे पहले वर्ष 2014 में ग्लास्गो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2015 में दोहा में हुए एशियन चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।
आज जबकि साक्षी की उपलब्धि पर पूरा देश जश्न मना रहा है, ये सहज ही सोचा जा सकता है कि उनके घर का माहौल कैसा हो सकता है! इस बहन ने अपने भाई को जैसी ‘राखी’ दी वैसी शायद ही किसी बहन ने अपने भाई को दी हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा है कि रियो में जीतकर साक्षी ने रक्षाबंधन के दिन तिरंगे का मान बढ़ाया है। काश कि हम ‘स्पोर्ट्स कल्चर’ और हमारी सरकारें ‘स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्टर’ के प्रति जागरुक और ईमानदार रहें और गौरव के ऐसे क्षण बार-बार आएं!
‘बोल बिहार’ के लिए रूपम भारती