सच: 1
एक सच मेरा
एक सच तुम्हारा
एक वो सच
जो चुप कर देता है
हमदोनों को
हमेशा रहता है मौजूद
ना दिखनेवाला सच
चुप रहने
और चीखने के बीच।
सच: 2
सच
सच है
उसे छिपाना क्यों है ?
सच
सच है
उसे बताना क्यों है ?
सच: 3
कौन मानेगा
मेरे झूठ का सच
कि मैं बोलता रहा हूँ उसे
सच को
सच बनाए रखने की खातिर !
डॉ. ए. दीप की कविता