आक्रामक रणनीति और स्टार रेडर प्रदीप नरवाल के शानदार प्रदर्शन की बदौलत पटना पायरेट्स एक बार फिर प्रो कबड्डी लीग का चैम्पियन बना। रविवार को हैदराबाद के गाची बावली इंडोर स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में उसने जयपुर पिंक पैंथर्स को 37-29 के अंतर से हराया। यह इस लीग में पटना की लगातार दूसरी खिताबी जीत है। इससे पहले पटना ने सीजन-3 में यू-मुम्बा को हराकर पहली बार इस खिताब पर कब्जा जमाया था।
जयपुर की टीम पटना से अधिक मजबूत मानी जा रही थी पर रक्षात्मक और आक्रामक खेल के अद्भुत मिश्रण से पटना ने फाइनल अपने नाम कर लिया। हालांकि पहले हाफ के 20 मिनट पूरे होने से एक मिनट पहले दोनों टीमें 16-16 से बराबरी पर थीं लेकिन पटना ने उम्दा खेल दिखाते हुए 19-16 की बढ़त हासिल कर ली और पहले हाफ के खेल की समाप्ति से पाँच मिनट पहले अपनी प्रतिद्वंद्वि टीम को ऑल आउट किया। दूसरे हाफ में भी पटना की टीम जयपुर पर भारी पड़ी। मुकाबले की समाप्ति में सात मिनट शेष रहने पर जयपुर की टीम एक बार फिर पटना के हाथों ऑल आउट हुई। इस समय पटना की टीम 28-23 से आगे थी। इसके बाद पटना पायरेट्स ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आखिर में जयपुर को 36-29 से धाराशायी कर दिया।
इस रोमांचक फाइनल में प्रदीप नरवाल ने सर्वाधिक 16 अंक हासिल किए। वहीं पटना के लिए खेल रहे इरानी खिलाड़ी हादी ओस्तोराक ने 5 अंक जुटाए। कप्तान धर्मराज चेरलाथन और कुलदीप सिंह ने 3-3 अंक बटोरे। उधर जयपुर की ओर से कप्तान जसवीर सिंह ने अकेले लोहा लेते हुए 13, राजेश नरवाल ने 7 और अमित हुड्डा ने 3 अंक हासिल किए।
पटना को जीत के द्वार तक पहुँचाने वाले प्रदीप नरवाल को ‘बेस्ट रेडर ऑफ द मैच’ के साथ-साथ टूर्नामेंट का ‘मोस्ट वेल्यूबल प्लेयर’ भी घोषित किया गया। हादी को उनके बेहतरीन डिफेंस के लिए ‘बेस्ट डिफेंडर ऑफ द मैच’ चुना गया। ये भी बता दें कि विजेता टीम पटना को एक करोड़ की खिताबी राशि मिली, जबकि उपविजेता जयपुर को 50 लाख रुपये का पुरस्कार मिला। तीसरा स्थान हासिल करने वाली पुणे की टीम को 30 लाख और चौथे स्थान पर आने वाली हैदराबाद टीम को 20 लाख रुपये मिले।
पीकेएल के लिए कौन-सा खिलाड़ी कितने में बिका और टूर्नामेंट के आखिर में पुरस्कार के तौर पर किस टीम को कितनी राशि मिली ये महत्व की बात नहीं। महत्वपूर्ण ये है कि मुरझा-सी गई कबड्डी इस टूर्नामेंट के शुरू होने से लहलहाने लगी है। कबड्डी भी अब सुर्खियों में रहने लगी है, ये बात सचमुच सुख देती है और ये सुख एकदम से गौरव में बदल जाता है जब इन सुर्खियों के शिखर पर हम ‘चैम्पियन’ पटना को देखते हैं।
हालांकि इस बात से डर भी लगता है कि कल तक कस्बाई कलेवर में रहने वाली कबड्डी की आँखें एकदम से इतने बड़े ‘बाज़ार’ में आकर चुंधिया ना जाएं। ‘ग्लैमर’ से घिरकर हम ये नहीं भूल सकते कि जड़ें मिट्टी में होने के कारण ही कबड्डी यहाँ तक पहुँची है और उसी के साथ ये आगे भी अपनी मंजिलें तय करेगी। मिट्टी की सुगंध गई नहीं कि कबड्डी निष्प्राण होकर रह जाएगी।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप