धुर राजनीतिज्ञ बसपा सुप्रीमो मायावती को जैसी पटखनी पूर्व भाजपा नेता दयाशंकर सिंह की गृहिणी पत्नी स्वाति सिंह ने दी है, वैसी उन्होंने कभी कल्पना तक नहीं की थी। राष्ट्रीय राजनीति में महारत रखने वाली इस नेता को आज अपनी ही पार्टी का बयान महंगा पड़ गया है। राजनीति की बिसात पर मायावती की चालें उल्टी पड़ गई हैं और प्यादे बिखर गए हैं। कल तो जो लोग बसपा सुप्रीमो के पक्ष में खड़े नजर आ रहे थे, आज वो दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी के खेमे में दिख रहे हैं। देश भर के राजनीतिज्ञों को राजनीति की दांव-पेंच सिखाने वाली मायावती को एक आम घरेलू महिला से मिली इस करारी पटखनी का अंदाजा तक न था। नतीजतन वो गुस्से में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की खबर ले रही हैं।
दरअसल, पिछले कुछ दशकों में राजनीति में जबरदस्त गिरावट आई है। पहले राजनीति को धर्म माना जाता था। राजनीतिज्ञ नीति-सिद्धांतों का सहारा लेकर मुद्दों पर तकरार करते थे। लेकिन, वर्तमान वर्षों में ये धर्म, संप्रदाय, जाति से व्यक्ति स्तर पर उतर चुका है। नेता जनहित के मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का सहारा ले रहे हैं। व्यक्तिगत टिप्पणी के साथ-साथ परिवार को भी निशाना बनाया जा रहा है। इसी का ताजा नतीजा मायावती-दयाशंकर सिंह विवाद है।
भाजपा नेता रहते हुए दयाशंकर सिंह ने जिस तरह बसपा सुप्रीमो मायावती पर अभद्र टिप्पणी की वो बेहद अशोभनीय थी। पूरे देश ने इसकी निंदा की। लोगों के कड़े विरोध को देखते हुए भाजपा ने मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए दयाशंकर सिंह को अपनी पार्टी से बर्खास्त कर दिया। लेकिन, बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने जिस तरह मामले में दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटियों को घसीट लिया उसकी जितनी भर्त्सना की जाये वो कम है। दो नेता अपने आरोप-प्रत्यारोप में इस स्तर तक उतर जायें ये किसी भी तरह उपयुक्त नहीं कहा जा सकता। ये पर्याप्त आलोचना का विषय है।
बहरहाल, इस सारे राजनीतिक खेल में जिस तरह दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने अपनी भूमिका निभाई है उसने बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों को भी सकते में डाल दिया है। स्वाति सिंह ने मामले को नारी अस्मिता से जोड़कर मायावती को उन्हीं की चाल से मात दे दी है। स्वाति सिंह पॉक्सो एक्ट के तहत अपने पति दयाशंकर सिंह, मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दिकी पर एक जैसी कार्रवाई की मांग कर रही हैं। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने धरने पर बैठने की चेतावनी दी है। स्वाति सिंह के इस कदम ने मायावती के सारे गणित को धता बता दिया है। कभी अपने बड़बोले बयानों और राजनीतिक तिकड़मों से विरोधियों के नाक में दम कर देने वाली मायावती आज स्वाति सिंह के इस पत्ते के आगे बेबस नजर आ रही हैं।
मौके पर चौका मारने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मामले में कूद पड़े हैं। अखिलेश यादव ने राखी के मौके पर मायावती से राखी बंधवा लेने का आईडिया भाजपा को दिया है। उन्होंने इशारों-इशारों में बसपा सुप्रीमो मायावती और भाजपा दोनों पर अपने शब्दों के तीर चला दिए हैं।
उधर, हमदर्दी का सैलाब स्वाति सिंह की ओर बहता देख मायावती की बौखलाहट बढ़ गई है। इसी का परिणाम है कि आनन-फानन में लखनऊ पहुंचकर उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं की क्लास लगा दी है। मामले में कुछ नेताओं पर बिजली गिरने के भी संकेत मिल रहे हैं। पार्टी अब बचाव के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है। इधर, भाजपा भी अब अपने निर्वासित नेता के बचाव में खुलकर सामने आ गई है। यूपी भाजपा ने हाईकमान से दयाशंकर सिंह के निष्कासन को रद्द करने की मांग की है।
आने वाले वक्त में इस राजनीतिक उठा-पटक के कई और रंग देखने को मिलने वाले हैं। लेकिन, फिलहाल एक बात तो साफ हो गई है कि घर संभालने वाली साधारण सी महिला ‘स्वाति सिंह’ ने राजनीतिक दंगल में शातिर ‘बहनजी’ को पटखनी दे दी है।
‘बोल बिहार’ के लिए प्रीति सिंह