बदनाम होंगे तो क्या नाम ना होगा। ये बात विशुनराय कॉलेज पर सटीक बैठती है। बिहार का एक गुमनाम सा कॉलेज जिसमें ऐसी कोई खासियत नहीं कि उसकी चर्चा हो पर आज उसे हर कोई जानता है। अखबार, टीवी और सोशल मीडिया पर छाया हुआ है ये कॉलेज और जितना ये छाया है उतनी ही कालिख फैली है बिहार की शिक्षा-व्यवस्था पर। पॉलिटिकल उर्फ ‘प्रोडिकल’ साइंस में खाना बनाना सिखाते हुए अपने ‘होनहार’ छात्रों को आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स में एक साथ पहला स्थान दिला देना सचमुच बड़ी बात थी। इतनी बड़ी कि पाणिनी, आर्यभट्ट और कौटिल्य एक साथ शरमा जाएं।
बहरहाल, बिहार को शर्मसार करने वाले इस घोटाले के बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने बताया कि सरकार ने लालकेश्वर प्रसाद को इस्तीफा देने का निर्देश दिया था। उधर बोर्ड के सचिव हरिहर नाथ झा ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है। बिहार के ‘भविष्य’ के साथ हुए इतने बड़े खिलवाड़ को देखते हुए ‘डिजास्टर मैनेजमेंट’ का दायित्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आनंद किशोर को दिया गया है। आनंद बिहार बोर्ड के नए अध्यक्ष और अनूप सिन्हा नए सचिव होंगे। संभावना इस बात की भी है कि बोर्ड की पूरी टीम ही बदल दी जाय।
बता दें कि पटना के एसएसपी मनु महाराज की अगुआई में एसआईटी की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लालकेश्वर प्रसाद के निजी सचिव सहित सात लोगों को हिरासत में लिया और अब सबसे पूछताछ कर रही है। हिरासत में लिए गए लोगों में हाजीपुर के जीए इंटर कॉलेज की केन्द्राधीक्षक शैल कुमारी, कॉलेज के हेडक्लर्क, चपरासी और पटना के राजेन्द्र नगर ब्वायज हाईस्कूल के प्राचार्य शामिल हैं। गौरतलब है कि जीए इंटर कॉलेज में ही विशुनराय कॉलेज के छात्रों की परीक्षा ली गई थी और कॉपियों का मूल्यांकन राजेन्द्र नगर ब्वायज हाईस्कूल में किया गया था।
चर्चा का केन्द्र बन चुके टॉपर्स घोटाले में एक नया मोड़ उस वक्त आया जब राजेन्द्र नगर ब्वायज हाईस्कूल के प्राचार्य सह मूल्यांकन केन्द्र के निदेशक विशेश्वर यादव ने यह खुलासा किया कि विशुनराय कॉलेज की कॉपियों का बंडल टूटे सील में मिला था, जबकि अन्य जिलों की कॉपियां सुरक्षित मिली थीं। प्रारम्भिक जाँच में इस बात के स्पष्ट सबूत मिले हैं कि अयोग्य छात्रों की कॉपियां बदलकर उन्हें टॉपर बना दिया गया।
खैर, अभी इस मुद्दे को लेकर सरकार और प्रशासन ने जैसा सख्त रवैया अपनाया है उसे देखते हुए किसी भी आरोपी के बचने की सम्भावना नगण्य है। लालकेश्वर प्रसाद के साथ ही विशुनराय कॉलेज के संचालक बच्चा राय के लिए भी पुलिस छापेमारी कर रही है। सरकार और प्रशासन की तत्परता अभी देखते ही बनती है। पर ये तत्परता पहले कहाँ थी..?
हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि वर्तमान में हमारा सम्पूर्ण ‘तंत्र’ जैसी मुस्तैदी दिखा रहा है वो केवल विशुनराय कॉलेज तक ही सीमित ना रह जाय। ये कॉलेज तो एक बानगी भर है। इस कॉलेज को जो ‘रोग’ लगा था उससे पूर्णरूपेण अछूता शायद ही कोई कॉलेज हो। कई शिक्षण-संस्थानों में तो ये ‘रोग’ और गंभीर रूप में देखा जा सकता है। ऐसे में हमारे शिक्षा मंत्रीजी से पूछा जाना चाहिए कि क्या कैंसर में तब्दील हो चुका ये ‘रोग’ जड़ से मिट पाएगा..? इतनी इच्छाशक्ति, इतना नैतिक बल, इतना दायित्वबोध बचा है हममें..?
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप