राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को नई दिल्ली में 63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरित किए। इस बार के पुरस्कारों में हिन्दी फिल्मों की धूम रही। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार ‘पीकू’ के लिए अमिताभ बच्चन को और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ के लिए कंगना रनौत को मिला। ‘पूरब और पश्चिम’, ‘उपकार’ और ‘क्रांति’ जैसी अमर फिल्में देने वाले मनोज कुमार को उनके विशिष्ट योगदान के लिए भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े पुरस्कार ‘दादा साहब फाल्के’ से सम्मानित किया गया।
73 वर्षीय अमिताभ का यह चौथा राष्ट्रीय पुरस्कार है। इससे पहले उन्होंने ‘अग्निपथ’ (1990), ‘ब्लैक’ (2005) और ‘पा’ (2009) के लिए यह पुरस्कार जीता था। वहीं 29 वर्षीया कंगना को तीसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। उन्हें इससे पहले ‘फैशन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री और पिछले साल ‘क्वीन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिल चुका है।
कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ देने वाली ‘बाहुबली’ को इस साल की सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार दिया गया। पर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक की दौड़ में इस फिल्म के निर्देशक एस एस राजमौली संजय लीला भंसाली से पिछड़ गए। सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार भंसाली को उनकी फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के लिए मिला। इस फिल्म को अलग-अलग श्रेणियों में पाँच और पुरस्कार मिले।
सम्पूर्ण मनोरंजन के लिए सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार भी हिन्दी फिल्मों के खाते में गया। इस साल यह पुरस्कार सलमान खान अभिनीत और कबीर खान निर्देशित ‘बजरंगी भाईजान’ को मिला।
63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से हिन्दी फिल्मों के लिए नई उम्मीद जगती है। ‘पीकू’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’, ‘बाहुबली’ (हालांकि ये एक साथ पाँच भाषाओं में बनी है), ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘बजरंगी भाईजान’ ये सभी अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग तरीके से बनी अलग-अलग टेम्परामेंट की फिल्में हैं पर व्यावसायिक तौर पर एक समान सफल हैं। ये फिल्में साबित करती हैं कि हिन्दी फिल्मों के रेंज में विस्तार, ट्रीटमेंट में गहराई, तकनीक में भव्यता और प्रस्तुति में सफाई एक साथ आई है। कहना चाहिए कि इस साल के राष्ट्रीय पुरस्कार ने इन तमाम बातों पर मुहर लगाने का काम किया है।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप