पानी हर जगह घटता जा रहा है। कुछ जगहों पर तो वो विलुप्त होने की कगार पर है। मसलन आँखों में पानी अब ढूँढ़े नहीं मिलेगा और भूल से लेकर अपराध तक लोगों ने पानी-पानी होना छोड़ दिया है। शील, स्वभाव, संस्कार, विचार और वैभव के विस्तार के लिए बोतलों में बंद पानी दूर-दूर से मंगवाया जा रहा है। जाने क्यों कुआँ, पोखर, तालाब और नदी से भी पानी की अनबन हो गई है। पानी ने उनका साथ छोड़ दिया या उन्होंने पानी का इस पर सरकरी खर्चे से शोध किए जा रहे हैं। गंगा जिसकी पवित्रता पानी से थी, अब वो आचमन के लायक भी नहीं रही। पता नहीं कौन-सा रोग लगा उसके पानी को। और तो और धरती जो सब कुछ धारण करती थी उसने भी पानी को अपने भीतर रखने से इनकार कर दिया है और नदियों के देश में मीडिया सूखे की खबरों से चल रहा है। कहने वाले तो यहाँ तक कहते हैं कि दुनिया के ज्यादातर देश पानी के लिए खून बहाने को तैयार बैठे हैं और ये भी कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा। इसी पानी के लिए मंगल मिशन पर खरबों खर्च किए जा रहे हैं सो अलग।
पानी की विडम्बना यहीं खत्म नहीं होती। अब इसे विरोधाभास की पराकाष्ठा ही कहेंगे कि पानी हर जगह घट रहा है लेकिन उसके रूप में इजाफा हो रहा है। जी हाँ, चौंकिए नहीं, वैज्ञानिकों ने इस बेपानी समय में पानी का चौथा रूप ढूँढ़ लिया है। चलिए, आपको तफ्सील से बताते हैं।
जैसा कि हम शुरू से जानते आए हैं, पानी मूल रूप से तीन अवस्थाओं ठोस (बर्फ), द्रव (पानी) और गैस (भाप) के रूप में मिलता है। लेकिन अमेरिका में वैज्ञानिकों के एक दल ने पानी की एक चौथी अवस्था को खोजने का दावा किया है। इस अवस्था में पानी के अणुओं का व्यवहार पहले की तीनों अवस्थाओं से अलग देखा गया।
पानी के अणुओं की इस नई अवस्था को अमेरिकी ऊर्जा विभाग के ओक रिज नेशनल लैब (ओआरएनएल) के वैज्ञानिकों ने देखा है। इसमें अणु करीब पाँच एंगस्ट्रम यानि मीटर के दस अरबवें हिस्से की माप वाले छहकोणीय श्रृंखला में बंधे पाए गए। ओआरएनएल के शोधकर्ता अलेक्जेंडर कोलेस्निकोव ने कहा कि यह ऐसी अवस्था है जो सिर्फ क्वांटम मैकेनिक्स में देखी जाती है। आम जीवन में ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता।
कहा जा रहा है कि यह खोज विज्ञान के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इस खोज से वैज्ञानिकों को कोशिका झिल्ली या कार्बन नैनोट्यूब जैसी बंधी हुई परिस्थितियों में पानी के थर्मोडायनिमिक्स को समझने में सहायता मिलने की उम्मीद है। कुछ अन्य पदार्थों में हाइड्रोजन के परमाणुओं की इस अवस्था की बात पहले के अध्ययन में सामने आ चुकी है। लेकिन पानी की इस अवस्था का वैज्ञानिकों को अनुमान नहीं था।
बहरहाल, ये तो वैज्ञानिक ही जानें कि उन्हें पानी के इस चौथे रूप से क्या और कितना मिलेगा। हम तो बस इतने से खुश हैं कि पृथ्वी पर पानी के कम पड़ते जाने के शोर-शराबे के बीच हमें पानी का एक और रूप देखने या यूं कहें सुनने को मिला। मीटर के दस अरबवें हिस्से की माप वाला ही सही, पानी तो आखिर पानी ही है..!
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप