ये मनुष्य ही था जिसने इस पृथ्वी पर गांव, शहर और देश बसाए, द्वीप और महाद्वीप ढूँढ़े, अपनी आवश्यकता, फिर विलासिता और आगे चलकर अपने विनाश के भी साधन जुटाए और ये भी मनुष्य ही है जो दूसरी पृथ्वी की तलाश कर रहा है क्योंकि कुछ समय बाद उसकी बसाई पृथ्वी उसी के कारण रहने लायक नहीं रह जाएगी। विश्वप्रसिद्ध भौतिकविज्ञानी स्टीफन हॉकिंग कहते हैं कि पृथ्वी बहुत अच्छी जगह है लेकिन कुछ समय बाद हमें दूसरे ग्रहों का रुख करना ही होगा।
स्टीफन हॉकिंग जैसे लोग समस्या बताने से पहले ही उसके हल में लग जाते हैं। सच तो यह है कि मनुष्य की विकास-यात्रा में मील के सारे पत्थर ऐसे ही लोगों ने रखे हैं। हॉकिंग के शरीर की दुनिया भले ही व्हील चेयर पर आश्रित हो पर उनका मस्तिष्क दूसरी पृथ्वी और हम जैसे दूसरे प्राणियों यानि एलियन को खोजने में सक्षम है। जी हाँ, अभी-अभी न्यूयार्क में इस उद्देश्य से मिशन ‘ब्रेकथ्रू स्टारशॉट’ की घोषणा की गई है जिसमें हाकिंग के साथ फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और रूस के अरबपति यूरी मिलनर होंगे।
हालांकि वैज्ञानिक 1960 के दशक से ‘सेटी’ (SETI – The Search for Extraterrestrial Intelligence) कार्यक्रम के तहत एलियन की खोज में जुटे हैं। 1984 में एलियन के संकेतों को सुनने के लिए पहली बार रेडियो टेलीस्कोप इस्तेमाल में लाया गया। पर इधर के वर्षों में टेक्नोलॉजी ने बड़ी लम्बी छलांग लगाई है। ये उसी का कमाल है कि ‘ब्रेकथ्रू स्टारशॉट’ अभियान के तहत अंतरिक्ष में हजारों नैनोक्राफ्ट (सूक्ष्म विमान) भेजे जा रहे हैं जो वजन में एक औंस से भी कम और आकार में मोबाइल के सिम जैसे छोटे होंगे लेकिन काम इतने बड़े करेंगे कि सहज विश्वास ना हो।
ये नैनोक्राफ्ट अंतरिक्ष को चीरती हजारों आँखों की तरह होंगी। हर नैनोक्राफ्ट में एक-एक कैमरा और जीपीएस सुविधा होगी जिससे यह पता चलेगा कि क्या वहाँ कोई एलियन है ? साथ में ये भी कि क्या पृथ्वी जैसा दूसरा कोई ग्रह है जहाँ जीवन सम्भव है ?
बता दें कि ये नैनोक्राफ्ट तारों के जिस सौरमंडल तक उड़ान भरेंगे वह पृथ्वी से 25 खरब मील दूर है जहाँ अभी मौजूद सबसे तेज स्पेसक्राफ्ट से पहुँचने की कोशिश की जाय तो भी कम से कम 30 हजार साल लगेंगे। जबकि ये नैनोक्राफ्ट इस सफर को महज 20 साल में पूरा कर लेंगे। जी हाँ, ऐसा इसलिए कि नैनोक्राफ्ट की गति प्रकाश की गति के 1/5 होगी।
बहरहाल, मिशन ‘ब्रेकथ्रू स्टारशॉट’ पर 100 मिलियन डॉलर यानि 6.65 अरब डॉलर की लागत आएगी। इस मिशन में नैनोक्राफ्ट के 20 वर्षों का सफर कैसा होगा और 25 खरब मील दूर जाकर हमारी उपलब्धि क्या और कितनी होगी, ये हमें नहीं पता लेकिन इससे मानव-जिज्ञासा को एक नया आयाम मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं।
‘बोल बिहार’ के लिए डॉ. ए. दीप